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और उनके सिद्धान्त । १०३ जाकर पूजा चढा आते थे। वे श्रीकृष्ण को उत्तम देवता मानते थ किन्तु उपर्युक्त देव देवताओंको भी उनसे बहुत शक्तिहीन नहीं समझते थे । वे शिवजी को कल्याण देने वाले, देवी को आश्रित की रक्षा करने वाली, गणेशजी को मंगलकारी और हनुमानजी को बल देने वाले समझ उनकी उपासना करना श्रीकृष्ण की उपासना करने से कम नहीं मानते थे तथा इसे भी आवश्यक अंग में गिना करते। ___ एक समय की वात, राजीवलोचन चीन से व्यापार कर एक वडी भारी नाव में अपने धन सहित भारतवर्ष लौट रहे थे । देवेच्छावश समुद्र में एक वडा भारी तूफान उठा। सेठजी बडे संकट में पडे । सव प्रयत्न कर लिये किन्तु किसी प्रकार से भी प्राण वचे ऐसा दिखलाई नहीं दिया। निदान सेठजी ने हारकर हनुमानजी की स्तुति कर उनसे नावको वचालेने की प्रार्थना की। पवनसुत हनुमान जी आयें आयें वहांतक सेठजी का धैर्य नावकी विकट स्थिति देख जाता रहा और उनने महादेवजी की स्तुति शुरु करदी। पवनसुत ने सेठजी के अन्याश्रयको देख अपनी गदा घर दी। महादेवजी अपने नन्दी पर बैठे २ इतने में सेठजी ने गणेशजी की स्तुति शुरु करदी । कहने का मतलब यह कि सेठजी को दृढ विश्वास किसी पर भी नहीं था । उननें इसी प्रकार गणेशजी तथा देव देवीओंकी स्तुति एक के बाद