________________
और उनके सिद्धान्त । सिद्धि को प्राप्त कर सकता है यह लोक प्रसिद्ध है। यहां भी भगवान् की कृपा को ही सब कुछ माना गया है । इसी लिये यह सर्वोत्तम मार्ग है और यही एक विश्वधर्म है।
इस भक्तिमार्ग में सबों का अधिकार समान रूप से है। भगवान् को जो प्रेम से भजे, जो भगवान श्रीकृष्ण को ही सब कुछ माने और उन्हीं का जगत्पावन नाम लिया करे और जो पुष्टिमार्ग का अनुसरण करे वही पुष्टिमार्गीय जीव होसकता है। यहां आर्य और अनार्य, ईसाई या मुसलमान, स्त्री या शूद्र सव को इस मार्ग में अधिकार है। जिस की इच्छा हो वह वैष्णव हो सकता है। यहां तो__जात पांत पूछे नहिं कोई हरिको भजे सो हरि को होई यह सिद्धान्त हैं । इस बात का दृढ अनुमोदन श्री मद्भागवत में हैकिरातहूणान्ध्रपुलिन्दपुल्कसा आभरिकका यवनाः खसादयः। येन्ये च पापा यदुपाश्रयाश्रयाः शुद्ध्यन्ति तस्मै प्रभाविष्णवे नमः।
अर्थात्-ऊपर के श्लोक में बताई हुई किरात, हूण, वर्वर, यवन, मुसलमान, ईसाई आदि जाति मात्र श्रीकृष्णका आश्रय लेने से पवित्र हो जाती हैं। यही नहीं पुष्टिमार्गीय प्रभाव तो यह है कि इन म्लेच्छों का उद्धार प्रभुके दासानुदास भी कर सकते हैं। ___ अतः पुष्टिमार्ग सब ग्रहण कर सकते हैं। श्रीमहाप्रभुजी के जो भक्त हैं अथवा जिनकी इच्छा यह है कि महाप्रभुजी