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और उनके सिद्धान्त।
श्रीसुबोधिनीजो-यह श्रीमद्भागवत पर टीका है। आज कल प्रथमस्कंध, द्वितीय स्कन्ध, तृतीय स्कन्ध, दशम स्कन्ध और एकादश स्कन्ध के कुछ अध्याय पर्यन्त सुबोधिनी जी प्राप्त होसकी हैं।
श्रीमद्भागवत की सूक्ष्म टीका-इस में भी आप श्री ने श्रीमद्भागवत का अर्थ समझाया है। इन के अतिरिक्त निम्र लिखित ग्रन्थ भी हैं
गायत्रीभाष्य। स्फुट ग्रन्थ । परिवृढाष्टक। दशमस्कन्धानुक्रमणिका । शिक्षाश्लोक। कृष्णप्रेमामृत। नन्दकुमाराष्टक। श्रीगिरिराजधार्यष्टक। श्रीगोपीजनवल्लभाष्टक। पंचश्लोकी। श्रीभागवत एकादशस्कन्ध अर्थ निरुपण कारिका न्यासादेश। - गायत्रीव्याख्या ।