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________________ बीड़ा धरने । पलनामें आरती थारीकी करनी। पाछे पलनाम प्रभुको गादीसुद्धा सिंहासनपर पधरावनो । पाछे शृङ्गारतो वोही रहे । पाछे माला और वेणु धराय आरसी दिखायके वेणु बड़ी करनी। गोपीवल्लभको डबरा और राजभोग सङ्गही आवे। और पहली सामग्री उत्सवकीमेंसू राखी होय सो वो छबड़ा धरनों। और राजभोगमें सेव, खीर, छाछिबड़ा, शाक चार और सब नित्यकी रीति धरनी । लीटी तथा रोटी नहीं। अनसखड़ीमें लुचईके ठिकाने दोय सामग्री-एक मनोहरके लडुवा तथा सीरा । और सखड़ीमें पाञ्चों भात । मीठो शाक । और मीठी कढ़ी और सादा कड़ीके ठिकाने तीन कुड़ा। इतनो राजभोगमें बड़ती और सब नित्यकी रीतिप्रमाणहो, और अष्टमीकी रात्रिकों और नवमीके दुपेरको शय्या भोग दुहेरो धरनों। समय भये भोग सराय आचमन मुखवस्त्र कराय। बीडा धरकें राजभोग आरती थारीकी चाँदीके दीवलाकी करनी । पाछे पूर्वोक्त रीतिसों अनोसर करनो। पाछे सांझकों उत्थापन भोग सन्ध्याभोग भेलो आवे । शयन आरती समय बघनखा रहे । और सब बडो होय । पोढत समय बघनखा बडो होय । और पलना भादो सुदि ७ मी ताई तिवारीमें झूले दर्शन होय । अष्टमीते भीतर झूले नित्यकी रीतिसों । और वैष्णवनके यहां नंदोत्सव गोपी खाल ऊपर लिखे प्रमाण नहीं बने । और पलना भी एक दिना ही झूले। इति श्रीजन्माष्टमीकी विधि समाप्त ॥ भादो वदि १० शृङ्गार पहले दिनको । सामग्री बूंदीके लड्डवा । विनको बेसन सेर ॥ घृत सेर । बूरो सेर 5॥ इलायची मासा २॥ Bicom maa M END
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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