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________________ ANGOR RANDOcd HERASH कुमकुम् अक्षत डारिये । तब यह मन्त्र पढे-“मथान त्वं हि। गोलोके देवदेवेन निर्मितः ॥ पूजितस्य विधानेन सूतिरक्षा कुरुष्व मे" ॥ १ ॥ पाछे खगकी पूजा करे । खगपरकुमकुम् अक्षत डारे यह मन्त्र पढके-"असिर्विशसनः खड्गस्तीक्ष्णधारो दुरासदः॥ पुत्रश्च विजयश्चैव धर्मपाल नमोऽस्तुते" ॥२॥ पाछे मुरलीकी पूजा करनी। मुरलीपर कुमकुम् अक्षत डारने। तब यह मन्त्र पढनों-" सर्वमङ्गलमाङ्गल्य गोविन्दस्य करे स्थित ॥ वंशवर्द्धन मे वंशसदानन्द नमोऽस्तुते"॥ पाछे छठीके आगे अनसखडीके दो नग वा चार नग भोग धरने, पाछे बीडा दोय धरने । पाछे गौदानको सङ्कल्प नन्दरायजी करें। संकल्प। ___ॐ हरिः ॐ श्रीविष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्त्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयप्रहराई श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे जम्बूद्वीपे भूौके भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गते ब्रह्मावतैकदेशेऽमुकदेशेऽमुकमण्डले मुकक्षेत्रेऽमुकनाम संवत्सरे दक्षिणायनगते श्रीसूर्ये वर्षौ मासोत्तमे श्रीभाद्रपदमासे शुभे कृष्णपक्षे नवम्याममुकवासरेऽमुकनक्षत्रेऽमुकयोगेऽमुककरणे एवंगुणविशेषणविशिष्टायां श्रीशुभपुण्यतिथौ श्रीमन्नन्दरायकुमारस्याभ्युदयार्थं गोनिष्क्रयभूतां दक्षिणां यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दातुमहमुत्सृजे । यह पढ़ि जल अक्षत छोडके गोदानको द्रव्य ब्राह्मणकों दीजे। पाछे बहेन, भानेज होय सो आपनको तिलक करे, आरती करे । आरतीमें कछु रोक मेलिये । पाछे पलनाके पास पटाके ऊपर पधरावने। दण्डवत करि पलना झुलावे । खडाऊँ पास धरे । झुलावे तब जीविष्णोराज्ञया अवस्वतमन्वन्तरेऽष्टा मालीके भरत RE - ATHASHIKARANHARISHADI -
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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