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मला बड़ी नहीं करनी । माला तिलककी उत्थापन समय बडी करनी । अनोसर करनो । पूर्वोक्त रीतिसों ताला मङ्गल करनों ॥ अथ साँझको प्रकार ।
अब साँझकों दोय घडी दिन रहे तब पूव्र्वोक्त रीतिसों स्नान करके पूर्वोक्त रीतिसों उत्थापन करनो पाछे उत्थापन भोग तथा सन्ध्याभोग भेलो आवे । पाछे पूर्वोक्त रीतिसों सन्ध्या आरती करके शयनभोग धरनों। समय भये भोग सरायके राजभोगवत सिंहासनको साज, खण्ड, पाट, चौकी आदि सब माण्डनों । वेणुधरि दर्शन खुले आरती थारीकी करनी । पाछे वेणु, वेत्र, पास तकियासूं ठाड़ेकरि राखने । शय्याके पास अनोसरको साज सब धरनों। शय्याको चौरसा उतारनों। पेंडों बिछावनो । पाछे प्रभुको चमर करचा करनों। और महाभोग की तैयारी करनी । ताको प्रकार - सखडी, अनसखडी आदिको जहाँ जितनों नेग बन्व्यो होय ताही प्रमाण करनो । यहाँ हमनें अन्दाजसों लिख्यों है । ताको प्रकार | प्रथम सखड़ीको प्रकार ।
चोखा सेर ८५ मूङ्गकी छडियल दार सेर 52 || मूँग सेर591 तीन कुड़ा ताको चौरीठा सेर 59 यामें डारवेको चणा सेर 59 तथा बडी सेर 51 भूनके डारनी। उडदकी बड़ी सेर | ताको छोक्यो शाक जलको पतरो । ऐसेही मूँग की मंगोड़ीको पतरो शाक सेर SI को ॥
अथ पांचों भातको प्रकार |
मेवा भातके चोखा सेर 5 || तामें बदामके टूक सेर S= पिस्ताके टूक सेर 5= पौन पाव, किस्मिस सेर पाव 5t