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________________ ARTHATANTRA अमुकक्षेत्रे अमुकनामसंवत्सरे श्रीसूर्य दक्षिणायनगते वर्षाऋतौ मासानामुत्तमे भाद्रपदमासे शुभे कृष्णपक्षे अमुकवासरे अमुकनक्षत्रे अमुकयोगे अमुककरणे एवंगुणविशिष्टायामष्टम्यां शुभपुण्यतिथौ श्रीभगवतः पुरुषोत्तमस्य कृष्णावतारप्रादुर्भावोत्सवं कर्तुं तदङ्गत्वेन पञ्चामृतस्नानमहं करयिष्ये । जल अक्षत छोड़नों पाछे तबकड़ी हाथमें लेके शलाकासों श्रीठाकुरजीको तिलक दोय बेर करनों । अक्षत दोय बेर लगावनें । हाथ धोय बीड़ा धरनों । फेर महामन्त्रसों तुलसी चरणारविन्दमें समर्पनी। और महामन्त्रसों तुलसी शङ्खमें पधरावनी । तथा पञ्चाभृतके कटोरानमें तुलसी महामन्त्रसों पधरावनी । शंख भूमिपर नहीं धरनों। पडषी छोटीसी शंखकी न्यारी रहे ताके ऊपर धरनों । अरु पञ्चामृत स्नान करावे । शंख हाथमे लेके और एक जनों दूध आदि कटोरीसूं अथवा कटोरानसों शंखमें देतो जाय, तामें प्रथम दूधसों, पाछे दहीसों, पाछे घृतसों, पाछे बूरासों। पाछे मधुसों। (कहीं दूध, दही, मधु, घृत, बूरा, या रीतिसों होय है ) और श्रीगिरधरजी महाराज कृत सेवाविधिमें लिख्यो है कि मधु, सब बनस्पतिनको रस है तासों सबके पाछे मधुसों स्नान करावनों । सो ता पाछे फिर दूधसों या प्रकार पञ्चामृत सान कराय पाछे शीतल श्रीयमुनाजलतों एक शंखसों ता पाछे स्नान करावनों। ता पाछे दंडवत कार टेरा खेंचे। पाछे प्रभुके धोती उपरना बड़े करि परातमें अभ्यङ्ग करावनो । प्रथम फुलेल समर्थनो । पाछे आमरा मसलिये जो पञ्चामृतकी चिकनाई छूटे । पाछे स्नान करायके केशर मिश्रित चन्दन लगायके स्नान करावनो। फिर एक लोटी श्रीयमुनाजल तथा एक लोटी गुलाब जलसों स्नान करायके अंगवस्त्र करि awaaTIOMMEwnce Domamarcanad m monsannound
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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