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________________ Anames tauranamamyahamermERETrawmIRTAN UCCESDATEURSDARDSeasuRes - - - घोरयो ताको गोला और अक्षत पीरे करिके और तुलसी यह सब तैयार करिके धरनों । शङ्ख एक पड़पीपे धरनों । एक अङ्गवत्र पास राखनो । और केशर तथा आमरे पिशे और फुलेल यह सब पास राखनो या प्रकार सगरी तैयारी करके भूलचूक देखके दर्शन खोलने ॥ मंगलाआरती थारीकी करनी। पाछे भीड़सरकायकें देश खेंचनो । पाछे श्रीप्रभुकों शृङ्गार चौकीपर पधरायकें रात्रीको शृङ्गार बड़ो करनो। और श्रीबालकृष्णजी होय तो प्रभुके आगे पधराइये। श्रीस्वामिनीजी नहीं पधारें। पञ्चामृतस्नान श्रीठाकुरजीकूँही होय । पाछे पीरी दरयाईके धोती उपरना धरावने । अरु श्रीहस्तमें कड़ा सोनेके, नूपूर, कन्दोरा, ए सोनेके रहें। कण्ठाभरण, मोतीकी लर धरावनी। पाछे पीटापें पधरावने । अरु श्रीबालकृष्णजी होय तो तिनको पधारावनें। श्रीबालकृष्णजीको श्रृंगार कछु नहीं रहे । पाछे दर्शन खोलने । अरु झालरि, घण्टा, शंख, झाँझ, पखावज बजे कीर्तनहोय और धोल, गीत, गावें, नगारा बजे॥ संकल्प। शीतल जल लोटीमेंसूं लेके आचमन प्राणायाम करि हाथमें जल और अक्षत लेके सङ्कल्प करे-ॐ हरिः ॐ श्रीविष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्त्तमानस्याय श्रीब्रह्मणो द्वितीयप्रहराई श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे जम्बूद्वीपे भूलोंके भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गते ब्रह्मावर्तेकदेशे श्रीवजदेशे मथुरामण्डले श्रीगोवर्द्धनक्षेत्रे अथवा अमुकदेशे अमुकमण्डले cantseemharasthcasnawaicnacatumDEARRIORAIPURARIRAMANARDARNAMA -- - - - -
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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