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________________ टपकारकाशशराराष्टREET KINNAPAYERA ENCERTISEARCRATICEISHEADHITAURAVEENAEHINमाषAMRENDEYARAN ऐसे विज्ञप्ति करि बाहिर आवनो। फिर और सेवा होय सो| करनी । और आभरन सब ठिकाने धरने । और दूसरे दिनके निकासने सो छाबमें साजके वस्त्र, आभरन, यथारुचि शृंगार प्रमाण तैयार करके धरनें । जो पहिले न निकासे होय तो। ऐसे सेवा सब अवकाशमें करनी। पाछे दूसरे भोगको दूधको डबरा सिद्ध करके लावनो । तामें बूरा, सुगन्धि मिलावनी । डबरा पधरायके श्रीठाकुरजीके पास आयके झारी उठावनी । दूधको डबरा झारीकीतकड़ीमें धरनों और सखड़ीमें भातको कटोरा पतुआन ढक्यो होय ताः उघाड़नो। एक कटोरी बूराकी वामें पधरावनी, बूरा मिलायकें दूध पधराय, मिलायके थालमें कोर सन्यो होय ताके ऊपर पथरावनों। फिर हाथ धोयकें झारी भरनी। झारी सिंहासन ऊपर पधरावनी । शय्याकी शारी शय्याके पास पधरावनी। और पूर्वोक्त रीतिसों आचमनकी झारी ले, बीड़ा, तष्टी लेके आचमन पूर्वोक्त रीतिसों कराय, बीड़ा तबकड़ीमें | धरकें मुखवस्त्र करायके, माला सब स्वरूपनः धरायके मन्दिर धुवचुके तब मन्दिर वस्त्र करिके दर्शन खोलिके बीड़ी अरोगावनी। दूसरे हाथ। पानकी ओट राखनी। पाछे वेणु धरावनी ॥ शयन आरती करनी विज्ञापन । __ आर्या-" शरणागतभीतिनिवृत्तिपरे ॥ परपक्षतमोनिकरांशुनिधौ ॥ हरशक्रविरंचिपिभोगकरे ॥ सुरसेवितपादसरोजयुगे॥ करलालितघोषवधूहृदथे ॥ हृदयस्थितबालकपुष्टिरते ॥ रतरन्तितगोपवधूनिचये ॥ चयसञ्चितपुण्यनिधानफले ॥ फलभक्तपरिप्लुतिपुष्टिनिजे ॥ निजमात्रसमर्पितभोगपरे ॥ परमात्र १ दीनदयैकपरे । AKSHARINGARET A RGERREREPEATER थापालाALIEDIODImanuma n HEDUDURa ma
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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