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________________ कण्ठाभरण, तिलक नकबेसर नूपुर रहे। बाकी सब बड़ो करिये। और पाग तनिआ रहे। और दूसरे स्वरूपको बड़े आभरन सब बड़े करिए । बाकी सब रहे । और वेणू पास रहे । शीतकालमें फरगुल. उदाइये । उष्णकालमें उपरना उदाइये। पाछे आभरन वस्त्र सब ठिकाने धरिये । पाछे प्रभूकों सिंहासनकी गादी पध| रायके गादीके अगाडी सिंहासन मोड़के ऊपर भोगवस्त्र बिछा| वनो। पाछे पूर्वोक्त रीतिसों ग्वालकी धैयाकी तबकडी अरोगायकें डबरा धरके सबःफेन समर्पिये। विज्ञापन-" ब्रजस्यानन्दगोदोहं बलेन सह गोपकैः ॥ कृत्वा पीत्वा पयःफेनं तथा पिब ब्रजाधिप” ॥ १९३ ॥ पाछे सिंहासनते झारी, बीडा, उठाय ठलायके झारी भरके पूवोक्त रीतिसों पधरावनी। आचमन, मुखवस्त्र पूर्वोक्त रीतिसों करायके चौकी माँड़के शयन भोग धरनों । ताको प्रकार-अथवा भोगमन्दिरमें शयनभोग धरनो। भातको थाल अगाड़ी धरनो तामें घीकी कटोरी तथा जलकी कटोरी गाड़नी और दारको कटोरा धरनो । कड़ीको कटोरा सबेरको परराख्यो होय सो धरनो। पापड़ धरनो। थालमें चमचाते कोर सॉननो भातमें दार तथा पी आरके साननों । तामें चमचा धरनो । दार कड़ीके कटोरामें चमचा धरने । अनसखड़ीको थाल वाम ओर धरनो। तामें सादा पूड़ी, सांटाकी पूड़ी, मोनकी पूड़ी, लोन पिसेकी तथा पिसी कारी मिरचकी कटोरी धरनी, सधानाकी कटोरी, भुजेना शाक छोक्यो, पतरो शाक, दार छोंकी, कचरिआ, कछ फल फल धरके धूप दीप करिये । अरोगवेकी विनती करि टेरा करि बाहिर आवनो। विज्ञापन-" दुग्धान्नादि यथा भुक्तं रोहिण्युपहितं निशि ॥ व्रजनायक भोक्तव्यं तथैव हि मदर्पितम् ” ॥ १९४ ॥
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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