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________________ MRITAMIRRORMERA R IES - meena edeemessentetnewsnelemature ommam pawan e o ततः सन्ध्याभोगार्थ विज्ञापयेत् । " श्रीमन्नन्दयशोदादिप्रेम्णा भुक्तं ब्रजे यथा ॥ भोजनं कुरु गोपीश तथा प्रेमापितं हरे” ॥ १८४ ॥ विज्ञापन कर टेरा खेंचनो । फिर और सेवा होय सो करनी। शय्याकी सेवा रहीहोय तो करनी । उपरान्त समय सर भोग सरावनों। पूर्वोक्त रीतिसों झारी, बीड़ा, तष्टी लेके आचमन कराय, मुखवस्त्र कार वीड़ा समप्पिये । पाछे भोग उठाय ठिकाने धरिये । भोगकी ठऔर पोतनाकरि मन्दिरवस्त्र फिराय हाथ धोयटेरा खोलि, दर्शन कराइये । वेणु, वेत्र धराय पूर्वोक्त रीतिसों आति सज्ज करिये। ततः सन्ध्यासमयनीराजनं कुर्यात् । विज्ञापयेत् । ___ "कृष्णः कमलपत्राक्षः पुण्यश्रवणकीर्तनः॥स्तूयमानोऽनुगैगौपैः साग्रजो व्रजमावजत् ।। १८५ ॥ तं गोरजश्छुरितकुं (ड) तलबद्धबहवन्यप्रसूनरुचिरेक्षणचारुहासम् । वेणुंकणंतमनुगैरुपगीतकीर्ति गोप्यो दिदक्षितदृशोऽभ्यगमन्समेताः ॥ १८६ ॥ पीत्वा मुकुन्दमुखसारथमक्षिभृङस्तापं जहर्विरहजं जयोषितोऽङ्गः । तत्सत्कृति समधिगम्य विवेश गोष्टं सबीड़हासविनये यदपाङ्ग मोक्षम् ॥” १८७॥ आर्या सन्ध्याआतीकी। " हरिभक्तिसुधोदधिवृद्धिकरे करवर्णितकृष्णकथायरसे ॥ रसिकागमवागमृतोक्तिपरे परमादरणीयतमाब्जपदे ॥ १ ॥ पदवन्दितपावनपापजने जननीजठरागमतापहरे ।। हरनीतविदारणनामकथे कथनीयगुणाकरदासवरे ॥२॥ वरवारणमानहरागमने रमणीयमहोदधिरासरसे ॥ रसपट्टगञ्चलशोभिमुखे मुखरीकृतवेणुनिनादरते ॥३॥ रतिनाथविमोहनवेषधरे धरणीधरधारण Nav RemementSemi indiantassamas - - - Answami
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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