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________________ reOTOHITORIAmarmasumeer -- - PARENTS - - - RE माराम -- - - A NAMICRORISESAMEEREHRINEKISHOREZAARAwaoREERIORRERNITIATICELEAGARIRSRRIORINTERES Banana magnasam दिनके वस्त्र होंय सो ठिकाने धरने, दूसरे दिन धरायवेके होंय सो निकासने । अरु समय भये भोग पूर्वोक्त रीतिसों सराइये। बीडा बण्टामें धरने, आचमन मुखवस्त्र पूर्वोक्त रीति कराय भोग उठाय ठिकाने धरिये । माला धरावनी, वेणू, वेत्र, तकियासुं लगाय ठाडे धरने तष्टी धरनी गेंद चौगान ठीक करके धरनी। फूलकी पाँखडी खण्डपेसूं गादीपें सब झाड लेनी । बीचमें कहूँ हाथ नहीं लगावनों, पहिले सब सम्भारके पाछे टेरा खोलके कीर्तन होत दर्शन करवाइये । गीतगोविन्दके पद गाइये। गरमी होय तो पङ्खा मोरछल करिये और सेवा आभण बस्त्रादिककी करिये ॥ ततो ब्रजं गच्छन्तं विज्ञापयेत् । "बलभद्रादयो गोपा गावश्चाग्रे विवृत्तयः ॥ गोपिकावेधितो मध्ये रणद्वेण जागमः॥ १८२ ॥ दिवाविरहजस्तापो जस्थानां यथा हृतः ॥ तथा मल्लोचने नाथ शिशिरीकुरु सन्ततम् ” ॥ १८३ ॥ और कीर्तन होत होय तामें छाप होय ताको नाम आये तब गोपिकागीत वेणुगीतको पाठ करत खेलकी चौकी ३ और खिलोनाकी तवकड़ी उठाय ठिकाने धरिये । और पाट, चौकी, खण्ड उठाय ठिकाने धरिये। पाछे झारी उठाय ठलाय भरके नेवरा पहिरायके सिंहासन पर पूर्वोक्तरीतिसों धरिये । भीड़ सरकाय टेरा खेंचनो सिंहासनके आगे पडघा धरनो सिंहासनके ऊपर गादीके आगे वस्त्र छिबावनो पाछे सन्ध्या भोगको थाल सिद्ध करयो होय सो धरनो, पड़या पातल धरके धरनोोताको प्रकार-मठडी मोनकी पूड़ी सँधाना प्रभृतिक सब धरिये ॥ R AATERIOSIRAINRITERARRANATEGN E RESI ARENTICEDUCRECRUIS ARENEFIT SAPP Res
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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