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________________ U Po जेमनी आडी पोतके खिलोना और बाँई आड़ी काठके खिलोना धरने । और खण्डके उपर पेंडो बिछाय जेमनी तरफ पोतके खिलोना तथा बाम आडी काष्टके खिलोनाकी तबकड़ी धरिये। और खण्डकी नीचेकी शीडीपे चांदीके खिलोनाकी तबकड़ी दोउ दिशि धरनी। और दोउ शीडीपे हंस गाय घोड़ा हाथी धरने और सिंहासनके ऊपर गादीके आगे दोनों आड़ी गाय चांदीकी धरनी। शय्याके पास खेलवेके लिये चौकी ३ तामें चौकी २ इत उत एकपर गादी धरिये । उष्णकालमें सुपेदवस्त्रकी खोली चढ़ाइये । सो वसन्तपञ्चमीते दिवारी ताई पाछे सिंहासन परते राजभोगकी झारी, बीड़ा, माला, चरणारविन्दकी तुलसी प्रभृति उठाय बाहिर लाय ठलाय प्रक्षालन करि फिर पूर्वोक्त रीतिसों भरि नेवरा निचोय पहिराय शय्याके पास धरि सिंहा सनकी वाम आडी तबकड़ीमें धरनी । और उष्णकालमें शय्या तथा सिंहासनपे झारीके आगे दोउ ठौर कुना, करवा, अक्षय तृतीयाते जन्माष्टमीके पहिले दिन ताँई दाहिनी दिशि धरिये । ततः झारी समर्पणम् विज्ञप्तिः। “प्रियारतिश्रमहरं शीतलं वारि यामुनम् । समर्पयामि तत्पानं कुरु श्रीकृष्ण तापहृत्॥१४२॥ | शय्याके पास बन्टाभी धरनो । तामें मठड़ी वा लडुवा तथा साधनेकी कटोरी धरनी । ततश्चन्दनादि समर्प्य विज्ञापयेत् । “कुचकुंकुमगन्धाढ्यमङ्गरागमतिप्रियम् । श्रीकृष्ण तापशांत्यर्थमङ्गीकुरु मर्पितम् ” ॥१४॥ या विज्ञप्तिसों चन्दनअङ्गराग दोऊ ठौर चन्दनयात्राते ( अक्षयतृतीयाते ) रथयात्रा ताँई धरिये । अरु पवा गरमीमें दोउ ठौर धरिये । सो डोलते दिवारी ताई धरिये पाछे बीड़ा दोऊ ठौर पूर्वोक्त रीतिसों दाहिनी दिशि चांदीके बण्टामें धरिये । तष्टी दोऊ ठौर आगे
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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