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________________ हाथ सुहातो राखिये दारको डबरा थारके पास जेमनी ओर धरनो, ताके पास मूङको डबरा धरनो, ताके पीछे कडीको डबरा धरनो, और रोटी लीटी, थारके जेमनी ओर धरनी, और भुजेना, कचरिया ताके पीछे धरिये पतरो शाक धरनो और चमचा सगरे डबरा में धरने ॥ अनसखड़ी साजवेकी रीत । थालमें पलना भोगकी माखन, मिश्र, मेवा घरनी । ताके पास मलाई सिखरन, दही, रायता, शाक, भुजेना, लोन, मिरच, साँनेकी कटोरी, बूराकी कटोरी, आदा पाचरीनींबू छोलाके | दाने वाके दिन होंय तो नहीं तो चनाकी दार धरनी, और खीरको डबरा थारके पास धरनो, ताके पास मठाको डबरा धरनो । ताके पास पूरीको थार, तामें लुचई मैदाकी जीराकी, मोनकी तथा सादा पूड़ी वगैरे धरनी और सामग्री जैसो नेग होय ता प्रमान नेग धरनो । और मेवा, तर मेवा, सब दाहिनी दिशि चौकीपर धरिये । या प्रकार सब सामग्री सिद्ध करि साजके प्रभूकों पथरावने पाछे थारमें आगे थोड़ो सो भात दारि चमचासों मिलाय घृत डारि सानिके यास ५ वा ७ करि धरिये || ता पाछे धूप, दीपआरती करिये ततो घण्टां विज्ञापयेत् । "हरिवल्लभरावे त्वं क्रीडासक्तान् गृहे स्थितान् ॥ समयं राजभोगस्य गोपान् गोपीश्च सूचय " ॥ ११० ॥ ततो अगरुधूपं समयति कुर्य्यात् । " श्रीमद्राधांगसौगंध्यागरुधूपार्पणाद्विभो ॥ भावात्मकृतसामग्री भोगेच्छां प्रकटीकुरु " ॥ १११ ॥ अगरको धूप करि वामहाथसों घण्टा बजाय, दाहिने हाथसों ३ फेरि देके
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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