SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - Ramme - - 3D उठाय साज करि तिवारीमें लाय दुलीचा बिछाय तापर पधराइये । पालना भोग प्रथम साज राख्यो होय ताकी सामग्री-माखन, मिश्री, मेवाकी कटोरी और छोट पूरी, बेसनकी। बेसनके खिलोना ये सब पेहेलेसों साज राख्यो होय सो धरनो। और माखन मिश्रीकी कटोरीपे ढकना ढाँकके छन्ना ढाँकके पधराय राखनो । अरु झारी, बीडा, ग्वालभोगके रहे। आगे खिलोनांकी तबकडी धरिये ॥ ततः प्रभुप्रैखारोहणम् । विज्ञापयेत् । "नवनीतप्रिय स्वामिन् यशोदोत्सङ्गलालित ॥ ग्रंखपय्यकमारुह्य मयि दीने कृपां कुरु" ॥ १०८॥ उपरान्त पालनामें पधराइये । खिलोना खेलाइये । झुनझुना, पपैया बजाइये । एतत्समयके पद गाइये । तदा प्रेखस्थितं प्रभुमान्दोलयेत् (झुलावने)॥ रामकलीरागण गीयते। ___प्रेखपर्यंकशयनम्।चिरविरहतापहरमतिरुचिरमीक्षणम् ॥ प्रकटय प्रेमायनम् ॥ तनुतरद्विजपंक्तिमतिललितानि हसितानि तव वक्ष्यि गोपिकीनाम् ॥ यदवधि परम तदाशया सम-- भवञ्जीवितं तावकीनाम् ॥ १ ॥ तोकता वपुपि तव राजते दृशि तु मदमानिनीमानहरणम् ॥ अग्रिम वयसि किमु भाविका मेऽपि निजगोपिकाभावकरणम् ॥ २॥ ब्रजयुवतिय कनकाचलानारोढुमुत्सुकं तव चरणयुगलम् ॥ तनुमुहुरुन्नमनमभ्यासमिव नाथ सपदि कुरुते मृदुलमृदुलम् ॥ ३॥ आधिगोरोचनातिकमलकोद्रथितविविधमणिमुक्ताफलविरचितम् ॥ भूषणं राजते मुग्धतामृतभरस्यदिवदनेन्दुरसितम् ॥ ४॥ तटे mein - - -- - - - - - mpan -
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy