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________________ FES - FRIDORI - अन्तःकरणप्रबोधको पाठ करत मन्दिर तिवारी सर्वत्र बुहारी देइ मार्जनी ठिकाने धरिये ॥ ततः सेकोपलेपौ कुर्यात् ॥ (छिडकामन्दिरवस्त्र) "आत्मनोऽज्ञानरूपस्य दुरितस्य क्षयाय हि ॥ करोमि सेकोपलेपौ त्वद्गृहे गोकुलेश्वर” ॥ ६० ॥ (उपरान्त) ता पाछे मन्दिरवस्त्र उठाय जलसों भिजोय मन्दिर, तिवारीप्रभृतिक गच्छकी भूमीपर फिराइये । या समय अनुसार सिद्धान्तरहस्यको पाठकरिये। ततः सिंहासनास्तरणं कुर्यात् । ___ "सिंहासनं तु हृत्पद्मरूपं सजीकरोम्यहम्॥ श्रीगोपीशोपवेशार्थ तथा तद्योगतांभज" ॥ ६१ ॥ या रीतसों सिंहासनकी विज्ञप्ति करि उपरान्त श्रीगोकुलाष्टकको पाठ करत सिंहासन वस्त्रप्रभृतिक सब उठाय फिरि झटकि बिछाय तापर गादी मुढा विधिसों धार सुपेद मिहि वस्त्र बुधवन्तसों। चारि ओरितें दृढकरि मूढापर मुखवस्त्र मिहीन चुनके धरिये। अरु शीत समय गदर, फरगुल घरे । सो प्रबोधनीतें डोल ताई सिंहासनपर धरिये । अंगीठी सिंहासनके आगे। वसन्तपञ्चमीके पहले दिनतांई धरिये । अरु श्वेत वस्त्र गादी मूढापर प्रबोधनीतें वसन्त पञ्चमीके पहले दिन ताँईन बिछाइये श्रीनवनीतप्रियजीके सुपेती उत्सव सिवाय नित्य बिछे और पंखाडोलते दशहरा ताँई गरमीनमें रहे और सिंहासनके वस्त्र प्रभृतिक शनिवारकूँ बदलिये । उपरान्त भक्तिवर्द्धनीको पाठ करत जलघरामें जाय जलपानकी मथनीको जलछानि ढांकि धरिये उपरान्त सेवाफलको पाठ करत रात्रिके झारी, बीडा, प्रसादी माला. बंटा भोग ठलाय साज धोय ठिकाने धरिये । ततो जलपानपात्रं सज्जीकुर्यात्। झारी भरतीसमय || - R landana - -
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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