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श्रीगोकुलनाथजीको वचनामृत ।
__(मुहूर्तदेखवेको) श्रीगोकुलनाथजीके वचनामृत व्रजके मासयूँ देखनो, तीज, तेरस एक जाननो, पून्यो, पञ्चमी एक जाननी, चौदशि,
अमावास्या वर्जनी । प्रभुके या वचनामृत विश्वास राखनों । भद्रा, भरणी, योगिनी
और दोष कछु नहिं गिननो।
पाया
माघ
वैशाख ज्येष्ठ आषाठ श्रावण भाद्रपद आसोज कार्तिक
मार्गशीर्ष
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१२ बहोत सुख होय, क्लेश न होय, अर्थ पूर्ण होय ।
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१२/२ महाभारत होय, अशुभ, जीवनाश होय ।
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१२ १ २ अर्थ पूर्ण होय, मनोरथ सिद्ध होय, कामना पूर्ण होय
क्लेश होय, जीवनाश होय, कुशलतूं घर नहिं आवे। वस्तुलाभ होय, मित्र मिले, व्याधि मिटे, लाभ होय महाचिंता होय, वियोग होय, कदाचित् घर आवे ।
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६ सौभाग्य पावे, रत्नसहित भलीभांतिसूं घर आवे ।
मिलवो न होय, बहोत बुरो होय, जीव नाश होय
दुःख पावे। ७/८ आशा पूर्ण होय, सौभाग्य पावे, कामना सिद्ध होय । ८/९/सौभाग्य पावे, दिन बहोत लगे, कुशलसों घर वे। ९ १०क्लेश होय, जीवनाश नहीं, सौभाग्य पावे नहीं ।
|मार्गमें सिद्धि होय, मित्रमिले, विन्न मिटे, धनको शीघ्र लाभ होय।
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