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________________ SAHIBHEETA HEARD R TRONINHERISTIANE ASTypng - amictimaamideathemamanimomsomainmen D n बड़ो खेल च्यार हैं सो ३ खेल तो इनके चतुर्थ खेलतें प्रभुको यह लीला अधिकार विना विशेषभावनीय नहीं ॥ चैत्रसुदी ९ रामनौमी श्रीराम हास्यावतार हैं। अभ्यंग केशरी बागा कुलही साड़ी या उत्सवकों संपूर्ण व्रत हैं “रामनवमी प्रभृति व्रतानि भगवन्मार्गे कर्त्तव्यानि” इति वाक्यात् । याते श्रीनंदरायजी या उत्सवकों जन्मांतर फलाहार करत हैं तातें राजभोग सरे पीछे जन्म होय उत्सवके भोग संग फलाहार भोग आवे । वसंत ऋतु पुष्पित होय पूजतहैं तातें डोल पीछे जब फूल आवें, तबतें फूल मंडली होय। सिंहासनकी मंडली अक्षय तृतीयाके पहले दिन ताँई होय और शय्यामंडली तथा सांगामांचीकी मंडली फूल होंय तो वैशाखसुदि १३ ताँई होय ॥ वैशाख कृष्ण एकादशी ११ श्रीआचार्यजीको उत्सवअभ्यंग केशरी कुलही बागा छूटे बंदको वापिछोड़ा केशरी साड़ी श्रीपादुकाजी विराजत होंय तो अभ्यंग राजभोग संग जुदो भोग आवें प्रभुकों । आर्ती कार श्रीपादुकाजीकों तिलक कार अक्षत लगाय बीड़ा धरि मुठियां ४ चूनकी वारि आर्ती करिये । यह प्राकट्य परार्थ तथा परमार्थ हैं परार्थ तो दैवी जीवनके उद्धारार्थ हैं " दैवी सृष्टियर्था च भूयानिजफल रहिता देव वैश्वानरैषा” इति । परमार्थ तो भगवदर्थ "न पारयेहं निरवद्यसंयुजाम्” इति । अत एव दोऊ भाव मुख्य भगवद्भाव तथा दास्यभाव । तहाँ भगवद्भाव तो “अर्थ तस्य विवेचितुं न हि विभुर्वैश्वानराद्वाक्पतेरन्यस्तत्र विधाय मानुषत, मां व्यासवच्छ्रीपतेः। दत्त्वाज्ञां च कृपावलोकनपटुः।" यह अशेषमाहात्म्य और दास्यभाव तो “इति श्रीकृष्णदासस्य वल्लभस्य हितं वचः" यह अशेषमाहात्म्य दैवीके उद्धारार्थ प्राकट्य याते SOName B mmerciarieskin u a inmename oudake M
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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