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पक्षकी ६ ते उतरण्ठ ६ कक्ष ११४ चरण १५ पदा
कृष्णपक्षकी ६ तें उतरे ३० ताई । १ मस्तक २ नेत्र ३ अधर ४ कपोल ५ कण्ठ ६ कक्ष ७ युग्म ८ उरू ९ नाभि १० कटि ११ गुह्य १२ जंघा १३ घोंटु १४ चरण १५ पदांगुष्ठ याही प्रमाण १ तें पंद्रह हैं १९ ताँई चढ़े।शुक्ल १ पदांगुष्ट २ चरण ३ घोंटु ४ जंघा५ गुह्य ६ कटि७ नाभि ८ ऊरू ९ युग्म १० कक्ष ११ कंठ १२ कपोल १३ अधर १४ नेत्र १५ मस्तक यह प्रकार अलौकिक भावात्मक हैं। लौकिकबुद्धि सर्वथा न राखनी आलंबन क्रीडा हैं महीनापर्यंत तातें धमार गावत हैं। श्रीजीको उत्सव बड़ो अभ्यंग बागा केशरी चीरा हरयो युग्माविर्भावतें बागा केशरी हरयो चीरा उत्सव दोय मुख्य श्रीजीको १ तथा श्रीगोकुलचन्द्रमाजीको२ दोय उत्सव गुप्तस्थान भेद तथा आधारभेद मिलि ४ चार उत्सव श्रीगोकुलचन्द्रमाजीके इहाँ४उत्सव और ६ मंदिरमें २उत्सव हैं।
फाल्गुन शुक्ल ११ तें खेल बड़ो शयनआर्ती समें गुलाल उड़े होरी ताई ॥ होरी । अभ्यंग बागा श्वेत पाग श्वेत रात्रिकों होरी मंगली सो आरोपण तेजोमय है यह द्योतन किये । डोल अभ्यंग बागा श्वेत पाटको कुलही श्वेत वसंत पंचमीको शृंगार और डोलको शृंगार एक, श्रृंगारभोग सरे पीछे डोल बैठे सो सूर्योदय पहिले डोल बैठे तो आछो । डोल उत्सव "उत्तरानक्षत्रे अरुणोदयसमये कार्यः" इति प्र. लिखितत्वात् । याहीतेंडोलतें उतरे पीछे राजभोग आवें। यह निकुंज क्रीड़ा हैं तातें निजमंदिरमें डोलन झूलें अत एव डोलतें उतरि बागा ऊपरको गुलाल सब पोंछि श्रीमुख पोंछे आभरण पोंछिकें पहरावनें पीछे राजभोग आरोगावेको निज मंदिरमें पधारें। भोग तीन हैं सो वामभाग दक्षिणभाग ललिताप्रभृति समस्तकों तातें तीसरो भोग ।
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