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MARATHI
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ओढ़नी वा रजाई ओठे सो दरशनमें चरणारविन्दही आवत हैं। __ माघ सुदी वसन्त पंचमी-अभ्यङ्ग रुईके बागा ऊपर श्वेत पाटको बागा श्वेत कुलही सिंहासन वस्त्र पिछवाई चन्दोवा सब श्वेत साज राजभोग सरे पीछे झारी १ जलभर लालवस्त्र सूतरू लपेट झारीमें खजूरकी डारमें बेर खोंसें तथा सरसोंके फूल ऐसो वसन्त सिद्धकर सिंहासन आगे धरि वसन्त खेलें । पीछे भोग तो पहले दिनही आवे और डोल तांई नित्य वसन्त खेलें तामें झारीको वसन्त पहले पञ्चमीके दिन वसन्त पञ्चमीकों कामको जन्म हैं वसन्त ऋतुहै सो कामको पूजन करतु हैं भौतिक काम लौकिक विषे रहैं, आध्यात्मिक कामकों रुद्र दाह किये, आधिदैविक काम भगवान आए हैं। “ साक्षान्मन्मथमन्मथः ” इति । आधिदैविक कामको आधिदैविक वसन्त ऋतु पूजन करत हैं, केशर चोवा अबीर गुलाल इतने कर पूजन तहां केशर वामभाग वर्णसाम्य चोवा भगवदरण श्याम अबीर श्वेततें हास्यप्रसन्नता गुलालते अनुराग दुपहरकों शय्यापास केशर अबीर गुलाल इतनों रहे चोवा नहीं, ह्यां ताँई क्रीड़ा भक्ताधीन हती शय्यापास क्रीड़ा भगवदधीन हैं तातें चोवा नहीं, सब श्वेत साज यातें जो मुख्य निर्गुणकी कृत हैं फेर रङ्गीन पाटके बागा १४ चौदश ताँइ पहरें। झारीमें वसन्त धरनो सो पुष्पफल युक्त हैं प्रबोधनीको अंकुरित हैं। वसन्त पञ्चमीको पुष्पित भयो दिन १० मी ताँई उद्दीपन क्रीड़ा हैं, दश भक्तजनके भावकरि तातें वसन्त गावत हैं, होरी डांडो अभ्यङ्ग बागा सूतरू श्वेतपाग श्वेत अबतें होरी ताँई पाटके बागा नहीं २ रङ्गीन सूतरू बागा होंय सो छठतांई पहरें होरी डांडो रोप्यो सो कन्दर्पको आरोपण किये फाल्गुन
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