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________________ a nd mausiRRENaNesistincominenesaman CanteeDHARMERE और छोटे स्वरूप होय वा शालग्राम वा श्रीगोवर्द्धन शिलाको स्नान पंचामृतसों कराइये पीछे अंगवस्त्र करि शृङ्गार कार पधराइये । धूप दीपकरि छोटी टोकरी आगे धरिये । टोकरीमें बेंगन शकरकंद सिंघाड़ा नये चणाकी भाजी छोटे बेर गंडेरी ये वस्तु कच्चे सवारे विना राखिये जो मुख्य स्वरूप मंडपमें पधारे होय तो रात्रिके चार भोगमें तो एक भोग मंडपमें धरिये तब रात्रिको तीन ३ भोग आवें आर्ती करि सिंहासनपर पधराय राजभोग धरिये और छोटे स्वरूप मंडपमें पधारे होंय तो धूप दीप करि आकरि पधराइये तब रात्रिको चार भोग आयें। यह भाव जो मुख्य ता निर्गुणको हतो यातें सगुण त्रिविध हैं सो जगावत हैं तातें तीन बेर देवोत्थापन गंडेरी रसमय हैं तातें याको मंडप मध्य ग्रंथि हैं सो इनकी खांडित्यरीतिकी वक्रोक्ति षोडश भाव विकार हैं “एकादशामी मनसो हि वृत्तय आकूतयः पंच धियोऽभिमानः। मात्राणि कर्माणि परं च तासां वदंति हैकादश वीरभूमीः ॥” इन्द्रिय ११ तन्मात्रा ५ मिलि १६ हैं तातें १६ गंडेरी । नायकाअष्टविध हैं-"खंडिता विप्रलब्धा वासकसज्जाभिसारिका । कलहांतरिता चैव तथैवोत्कंठिता परा। स्वाधीनभर्तृका चैव तथा प्रोषितभर्तृका । संभोगे विप्रलंभे ता इत्यष्टौ नायिकाः स्मृताः॥” ताते ८ भक्त चतुर्विध हैं ताते चारि मंडपमें दीवा करे सो रस उद्दीपन करे। पंचामृतसों स्नान, सो प्रभूविषे निर्दोषभावकी स्थिति रहे । फलादिक काचे धरने सो वय अपक्क है अंकुरित है तुलसीसों विवाह है ताते तुलसी अन्यसंबंध न होनेदेइ ताते सबको अभीष्ट विवाहके चार भोजन ताते रात्रिको जागरणमें चार भोग अवतारलीला विषे कुमारिकानको पतिभाव है ताते तुलसीके विवाहांतर्गत इनहूको N ESCRIRERHIsain
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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