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unnialisanthalactationshimamalnilnacicrowatanarthakamoduRampatnitatiositikacclashatansixiandamadinaissattaamaniamsocitatisanmoomarathimanupamanan
भाग १, ललिता प्रभृति १, तुर्य प्रिया १ यह व्यापिवैकुण्ठमें और अवतार लीलाविषे या प्रकार चतुर्विध हैं-नित्य सिद्धा १, श्रीयमुनायूथ १,अन्यपूर्वा, पूर्वा अनन्य१६, सत्त्वके भेदके ३, चित् १, ये ४ लाल रङ्गके वस्त्र पहिरें। तमके भेदके ३ तथा
आनंद ये श्वेत वस्त्र पहिरें और चतुर्विध जे भक्त हैं सो भगवद्भावविशिष्ट हैं। विपरीत तब इनमें स्ववर्ण पीत हैं भगवद्वर्ण श्याम हैं श्याम पीत वर्ण दोऊ एकट्टे हैं ये ४ हरे वस्त्र पहिरें। मिले १६ भये। पासा ३ हैं सो तीनों सुधासों क्रीड़ा देवभोग्या १ भगवद्रोग्या२ सर्वाभोग्या ३ पासाप्रति १४ अवयव हैं विद्याहू चौदह हैं १४ विद्यामें निपुणयुक्तता जतावत दान करत हैं ताहीतें सुधा३ विवेकसों दान खण्ड ९६ हैं सो बन्ध ८४ और बन्ध जैसें आधार तैसे शक्तिहू १२ बारह हैं " श्रिया पुष्टया गिरा कीर्त्यांऽकीर्त्या तुष्टयेलयोर्जया। विद्ययाऽविद्यया शक्त्या मायया विनिषेविता॥" येहू शक्ति हैं तातें आधार हैं मिलें ९६ छानवें भये । खेलमें प्रभुके सम्मुख दक्षिण भाग और वामभागके सम्मुख तुर्य प्रिया हैं। लाल रजोगुण युक्ततें प्रभुको यूथ हरयो उभय प्रीतियुक्त हैं तातें दक्षिण भागका यूथ श्याम वर्ण प्रिय हैं तातें वामभागको यूथ श्वेतनिर्गुण हैं सो तुर्यप्रियाको यूथ हैं चारको एकत्र यूथ सो यातें “ विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः” विभाव २ आलंबन विभाव १ तथा उद्दीपन विभाव १ तथा अनुभाव १ व्यभिचारीभाव १ तातें चारको यूथ ११ राग कालिङ्गडो-“एक अनूपम अद्भुत नारी नैनबैन चौबीस चौगुने । सोरह चरन वदन हैं चारि चतुराननसों प्रीति तीन पति ताकें इकईस दूने॥३॥ नैन श्याम श्वेत आरक्त हरित
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