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________________ MINION L INDRENus पदार्थको स्थापन तेजते उद्बोधक हैं सामग्री मालपुवा यह जुदे बूरा बिना सुस्वाद नहीं तेंसें अधर संबंध होय तबही वकारको आविर्भाव होय " वकारस्य दंतोष्ठम् " वकार अमृतबीज हैं “प्रादुर्भवति वकारस्त्वदधरपीयूषदशनसंयोगात् । "तेनामृतबीजसंयुक्तं प्राणप्रियेति ” इति स्वरूप प्राकट्य हैं तात रूपचतुर्दशी कामस्थिति चौदशको चरणमैं हैं ताते ऐसी भक्तिविना यह पदार्थ तो गुप्त हैं दिवारीरूपही तासको बागा साड़ी कुलही श्वेत सूतरू तुर्रा किनारी लाल सूथन सलाल अतलशकी वा दरियाईकीलालपटुका निर्गुण अनुरागयुक्त दीवड़ा गोपाल॥ वल्लभ शयन आर्ती चोपड़की सिंहासनपर होय । पीछे हटड़ी बैठवेकों पधारे शय्याके आसपास सूको गीलो मेवा तथा मिठाई तथा दीवड़ा सामग्रीमें चोपड़की चोकीके पास विराजवेकी चोकी सिंहासनपर होय पीछे हटड़ी बैठिवेको पधारे शय्याके बीच बीड़ाके थारमें अंगरागकी कटोरी तथा चोवा छोटी कटोरीमें तथा बरास पास फूलकी माला प्रभु धारवेकी चौकीपर बिराजें तब सगरे घरके भेट धरें सो भेट बाँटिके चोपड़के आसपास धरिये आर्ती चोपड़की होय पीछे शृंगार बड़ो इतनों होय हारमाला गुंजा चंद्रिका क्षुद्रघंटिका बाजूबंद चौकी पगिपान और दूसरी ठौरहू बड़े हार तथा क्षुद्रघंटिका पीछे पोढाईये सिंहासन बिछ्यो राखिये शय्याते लेके सिंहासन ताई पेंड़ो बिछाइये पीछे बाहर निकसिये चोपड़को भाव तामें गोटी१६षोडशप्रकारके भक्त हैं सात्त्विकसात्त्विक, सात्त्विकराजस, सात्त्विकतामस, राजसराजस, राजससात्त्विक, राजसतामस,तामसतामस, तामसराजस, तामस सात्त्विक ये नौ भये। सच्चित् आनन्द मिले १२ भये। चतुर्विध भक्त नित्य सिद्धामें चार भेद हैं-वाम भाग १, दक्षिण
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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