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________________ NeverASSISTARAMETURE बसायमानमालामाTRALIA Rahale । - श्रुतिरूपानकी भक्ति श्रेष्ठ हैं । कार्तिक वदि १३ धनतेरसकों हरे तासको बागा तथा चीरा हरयो ऐसी साड़ी श्याम | पीत रंगकरिके हरयो होय । श्याम श्रृंगार गौर उद्बोधक गौर | सो पीत जब हरयो भयो तब शृङ्गारोद्बोधक भयो । औरहू तासको बागा होय तो श्यामतास एकादशीके दिन पहिरें। पीत तास द्वादशीके दिन पहिरें। धनतेरसके दिन हरयो तास पहिरें । गोपालवल्लभमें फेनी खीर करे । भावके उद्बोधकको आधिक्य चहिये। जैसे उदयाके पूर्णचन्द्र । कार्तिक वदी १४ रूपचतुर्दशी अभ्यंग फुलेल उबटनों लगाय चुकें तब कुम्कुमको तिलक करि पीरे अक्षत लगाय बीड़ा पास धरि तप्तोदक स्नान कराय फिरि केशर लगाय स्नान कराय अंगवस्त्र करि लाल तासकों बागाप्रभृति श्रृंगार निरावृत्ति श्रीअंगमें फुलेल पर उबटना लगाइये । सो स्नान समेकी आर्तीके समें कहूं श्यामता कहूँ पीतता दर्शन होय । सो पहिले दिन एक होयके अन्यवर्ण होय गयो बागाको सोया समें दोऊवर्ण पृथक दर्शन देत हैं। श्रीअंगमें यह भाव उद्बोधक भयो । ताते आर्ती आवश्यक हैं। लाल तासको बागा सों उद्बोधकको अनुरागयुक्त करें तास है यातें किरण प्रसारित भई। ऐसो दर्शन जिन भाग्यशील भक्तनको भयो तिनकों दिवारीके सभेकी चतु ष्पदिकाके भावको बोध भयो । या बागाको वर्ण अनुरागयुक्त हैं तथा रजोगुणसे स्मरोद्बोधक हैं और दिवारीको वा निर्गुण हैं। तथा आनन्दको धर्म तम श्वेत हैं सो लयात्मक हैं किंच फुलेल स्नेहतें संयोग उभयदलात्मक स्वरूप संपूर्ण शृंगाररूप एककालावच्छेदेन स्नानसमें दर्शन भयो तब तिलक करें सो जयपताका मध्य पीरें अक्षत करि उद्बोधक मीनकेतु भयो: । । |
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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