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________________ R - o manimation नवमी अंग है मुख्य तिथि अष्टमी वाको लाभ जो न होय तो नवमी अंग है वाहीमें व्रत उत्सव करें परंतु अजन्मतिथि सप्तमीसंयुक्तमें सर्वथा न करें, करें तो सकामतें वेधविरोध बाधक होय तथा रोहिणीको जो मुख्य मानकर व्रत तो करे तो जयंती होय तोहू वेधविरोध बाधक होय यातें शुद्ध करनी। किंव रामनवमीको संपूर्ण व्रत करे राम नवमीप्रभृतिब्रतानि भगवन्मार्गे कर्तव्यानि' जब नवमीविद्धा अधिका होय तब दूसरी करे,शुद्धाधिका होय तब पहली करे विद्धान्यूना होय तब अष्टमीविद्धा करे या व्रतको दूसरे दिन पारणा आवश्यक है और भांति करे तो सकाम बाधक होय तब वेदविरोध बाधक होय किंच नृसिंहजयंती तथा वामनजयंती ये दोऊ जयन्ती व्रत तो रामनवमी प्रभृति व्रतानि या प्रभृति कहेतें समाप्त भये परंतु इन दोऊनकों व्रत संपूर्ण नहीं यातें भिन्न हैं नृसिंहजयंतीव्रतमुत्सवश्चेत् कर्त्तव्यं वामनजयंती उत्सव करने ताने उत्सव पर्यन्त व्रत करने जन्म ताई उत्सव फिर तो नित्यकी रीति जो काहूको शयनआर्ती पीछे नृसिंहजीको वेष बनवाइये तथा राजभोगआर्ती पीछे वामनजीको वेष बनाय दर्शन करे तो होय अथवा द्वितीयस्कंधोक्त भावना करनी होय ये अवतार मेखलाप्रभृतिक है तातें उत्सव पूर्ण नहीं भयो। नृसिंहजीको वेषभावना करनी होय तो रात्रिको पारणा न करे तैसे वामनजीको वेष भावना करनी होय तो पहिले एकादशीके दिन फलाहार करें, द्वादशीको उपवास करें 'एकादश्यामुपोषणमकृत्वा द्वादश्यामुपोषणं कर्त्तव्यं' निष्कर्ष यहें ह्यां उत्सव मुख्य है व्रत तो मुख्य है नहीं । भोजन कीये पीछे उत्सव करनों निषिद्ध है। भगवदावेश न आवे 'किं बहुना उत्सवः प्रधानभूतःभुक्त्वा चोत्सवो निषिद्धः, भगवदावेशामा - -- -- - - ----
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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