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अथ हिंडोलादोलनारम्भ निर्णय । श्रावण कृष्णप्रतिपदासू लेके जा दिन दिनशुद्ध होय श्रीठाकुरजीकी वृषराशी। अनुकूल चन्द्रमा होय ता दिनमूं भद्रारहित समयमें श्रीठाकुरजी हिंडोरामें विराजें फिर श्रीठाकुरजीकू हिंडोरा झुलावने ॥ ३६॥
अथ श्रावणशुक्लतृतीया निर्णय । श्रावण सुदि तीज ठकुरानी तीज, सो उदयात् लेनी। और दोय तीज होंय तो पहली तीज लेनी और तीजको क्षय होय तो विद्धा माननी ॥ ३७॥
अथ नागपञ्चमी निर्णय।। श्रावण शुद्ध पञ्चमी नागपञ्चमी । सो उदयात् लेनी । दोय पंचमी होय तो पहली पंचमी लेनी। और क्षय होय तो विद्धा लेनी ॥ ३८॥
अथ पवित्रैकादशी निर्णय । श्रावण शुद्ध एकादशी पवित्रा एकादशी । सो जा दिन व्रत करनों ता दिन भद्रारहित समयमें श्रीठाकुरजीकू पवित्रा धरावने । व्रतको प्रकार प्रथम एकादशी निर्णयमें लिख्यो है॥३९॥
और भद्राको स्वरूप प्रबोधनीके निर्णयमें लिख्योहै । विशेष रक्षानिर्णयमें लिखूगो॥४०॥
अथ रक्षाबन्धन निर्णय । श्रावण सुदि पून्यो राखीपून्यो, सो पून्योमें राखी धरै तासमें भद्रा नहीं चाहिये । और सबेरे तथा साँझकू भद्रारहित पूर्णिमा मिले तो साँझकू रक्षा धरावनी। भद्राको स्वरूप ज्योति शास्त्रमें
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