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अथ नृसिंहचतुर्दशी निर्णय। वैशाख शुद्ध चतुर्दशी नृसिंह चतुर्दशी । सो उदयात् लेनी। और दोय चतुर्दशी होय तो पहली चतुर्दशीके दिन उत्सव माननो। और चतुर्दशीको क्षय होय तो विद्धा चतुर्दशीके दिन उत्सव माननो ॥३०॥
अथ गङ्गादशहरा निर्णय। ज्येष्ठ शुद्ध दशमी श्रीगङ्गाजीको दशहरा, सो दशमी उदयात् लेनी और दोय दशमी होंय तो पहली दशमीके दिन उत्सव माननो और दशमीको क्षय होय तो विद्धा दशमीके दिन उत्सव माननो ॥३१॥
अथ ज्येष्ठाभिषेकोत्सव निर्णय । ज्येष्ठ सुदि पौर्णमासीके दिन अथवा जा दिन सूर्योदयमूं पहले पिछली रातर्फे स्नानसमें ज्येष्ठा नक्षत्र होय ता दिन स्नान यात्राको उत्सव माननों । सो पून्यो उदयात् लेनी। और ज्येष्टानक्षत्र पिछली पहर रात्रिसूं लेके सूर्योदय होय ताँहाँ ताँई चाहे तब आयो चइये । और दोय पून्योहोंय तो पहली पून्योके दिन स्नान समय पिछली रात• ज्येष्ठा नक्षत्र आवतो होय तो वा दिन उत्सव माननो। और दूसरी पून्योके दिन स्नान समय पिछली रात्रिर्फे ज्येष्ठा नक्षत्र आवतो होय तो तादिन उत्सव माननो । और दोई दिन पिछली रात्रिकूँ स्नान समें ज्येष्ठा नक्षत्र आवतो होय तो पहले दिन उत्सव माननो । और पून्योको क्षय होय और वा दिन आवती पिछली रातर्फे स्नान समें ज्येष्ठानक्षत्र आवे तो वा दिन उत्सव माननो। और पून्योके दिन ज्येष्ठा
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