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श्रीगिरिधरजीको जन्मोत्सव निर्णय । कार्तिक सुदि द्वादशीके दिन श्रीगिरधरजीको जन्मोत्सव । सो द्वादशी उदयात् लेनी। और दोय द्वादशी होय तो पहली द्वादशीके दिन उत्सव माननो। और द्वादशीको क्षय होय तो विद्धा द्वादशीके दिन उत्सव माननो॥१६॥
अथ श्रीविठ्ठलनाथजन्मोत्सव निर्णय। पौष कृष्ण नवमी श्रीगुसांईजीको जन्मोत्सव । सो नवमी उदयात् लेनी । और दोय नवमी होय तो पहली नवमीके दिन उत्सव माननो। और नवमीको क्षय होय तो विद्धा नवमीके दिन उत्सव माननो ॥ १७॥
अथ मकरसंक्रान्ति निर्णय । मकरसंक्रान्तिको पुण्य संक्रान्ति बैठे पीछे बीस घड़ीताई जाननो । सो सूर्यास्तसूं पहले जो संक्रान्ति बैठे तो वा दिन पुण्यकाल जा समय आवतो होय ता समय तिलवा भोग धरनो। दानादिक करनो और सूर्यास्तसूं पीछे संक्रान्ति बैठे तो दूसरे दिन प्रातः कालके विषे तिलवा भोग धरने। दानादिक करना। और संक्रान्तिके पहले दिन उत्सव माननों ॥१८॥
अथ वसन्तपञ्चमी निर्णय । माघसुदि पञ्चमी वसन्तपञ्चमी । सो पञ्चमी उदयात् लेनी। और दोय पञ्चमी होंय तो पहली पञ्चमीके दिन उत्सव माननो। क्षय होय तो विद्धा पञ्चमीके दिन उत्सव माननो ॥१९॥
अथ होलिकादंडारोपण निर्णय । ___ माघी पुन्योको होरी दंडारोपण पर्वात्मक उत्सव । सो होरी | दंडारोपण भद्रारहित कालमें करनों। सन्ध्याकालविषे अथवा
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