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________________ AgricianaanemasPaaODCHARANANDNESS manmam | व्यापिनी होय तो दूसरे दिन माननी । और दोई दित प्रदोषव्यापिनी होय तो पहले दिन माननी । और दोऊ दिन प्रदोष व्यापिनी न होय तोहू पहले दिन माननी ॥ १३ ॥ अथ अन्नकूटोत्सव निर्णय । अन्नकूटको उत्सव दिवारीके दूसरे दिन माननो । और वादिन कछु अड़बड़ाट अन्नकूट न बनिसके तो कार्तिक सुदि पूर्णिमा ताई जब बने तब करना ॥ १२॥ . अथ भ्रातृद्वितीया निर्णय । कार्तिक सुदि दूज-भाई दूज,सो दूज मध्याह्नव्यापिनी लेनी। मध्याह्नको लक्षण पहले वामनद्वादशीके निर्णयमें लिख्यो है और मध्याह्नव्यापिनीन होय तो उदयात् होय ता दिन माननी॥१३॥ अथ गोपाष्टमी निर्णय। . कार्तिक सुदि अष्टमी गोपाष्टमी, सो उदयात् लेनी । दो अष्टमी होय तो पहली लेनी और क्षय होय तो विद्धा लेनी १४ अथ प्रबोधनी निर्णय। कार्तिक सुदि एकादशी प्रबोधनी सो जादिन व्रत करनो ता दिन भद्रारहित समयमें देवोत्थापन करनो । व्रतको प्रकार प्रथम एकादशीके निर्णयमें लिख्योहै ॥ भद्रा सो विष्टि सो पञ्चांगमें स्फुट लिखी है। और दशमीकी समाप्तिसूं लेके द्वादशीके आरम्भताई एकादशी जितनी बड़ी सिद्ध होय तिनमें दो विभाग करिके दूसरो विभाग भद्रा जाननो । जैसे अट्ठावन वड़ी एकादशी होय तो पहली गुनतीस घड़ी आछी । और दूसरी गुनतीस घड़ी भद्रा जाननी ॥ १५॥ I NHERampaingaavtaRORSHIONamsin e ranmastaraman
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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