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________________ - Ganesamalinsan और सूर्योदयसमय थोड़ी दशमी होय और श्रवणनक्षत्रकी || व्याप्ति होय सन्ध्यासमय होय तोहू वा दिन माननी ॥७॥ अथ शरत्पूर्णिमा निर्णय । आश्विन सुदि पुन्यो शरद पुन्यो, सो चन्द्रोदयव्यापिनी लेनी और दोई दिन पुन्यो चन्द्रोदयव्यापिनी होय तो पहली लेनी। और दोई दिन चन्द्रोदयव्यापिनी न होय तोहू | पहली लेनी ॥ ८॥ अथ धनत्रयोदशी निर्णय । ___ कार्तिकवदि त्रयोदशी धनत्रयोदशी, सो त्रयोदशी उदयात् लेनी। दो त्रयोदशी होंय तो पहली लेनी और त्रयोदशीको क्षय होय तो विद्धा लेनी॥९॥ .. अथ रूपचतुर्दशी निर्णय । । कार्तिक वदि चतुर्दशी रूपचतुर्दशी । यह चतुर्दशी चन्द्रो-। दयव्यापिनी लेनी और दोई दिना चन्द्रोदव्यापिनी होय तो पूर्व लेनी । और दोई दिना चन्द्रोदय समय अथवा अरुणोदय समय । चतुर्दशी क्षयवश न आवती होय तो विद्धा लेनी । यद्यपि निर्भयरामभट्टने यह चतुर्दशी सूर्योदयव्यापिनी लिखी है। तथापि संवत्सरोत्सवकल्पलता, उत्सवमालिका प्रभृति प्राचीन ग्रन्थनको तो पहिले लिख्यो सोही सम्मत है ॥ १० ॥ अथ दीपोत्सव निर्णय। कार्तिक वदि अमावस दीवारी, सो अमावस प्रदोषव्यापिनी लेनी । प्रदोषको लक्षण-तो सूर्यास्त होयवलगे तबसू छः घड़ी रात्रि जाय ता कालको नाम प्रदोष काल । पहेले दिन प्रदोषव्यापिनी होय तो पहले दिन माननी। और दूसरे दिन प्रदोष __ n - - NEPerreatmense - - N SARAN - me
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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