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दोई दिन नहीं होय तो जा दिन उदयात् श्रवण नक्षत्र होय ता दिन उत्सव माननों ॥५॥
अथ नवरात्रप्रारम्भ निर्णय। *आश्विन सुदि प्रतिपदा नवरात्रको प्रारम्भ होय । सो प्रतिपदा उदयात् लेनी । और दोय प्रतिपदा हाय तो पहली प्रतिपदा लेनी । और प्रतिपदाको क्षय होय तो विद्धा प्रतिपदा लेनी ॥६॥
__ अथ विजयादशमी निर्णय । आश्विन शुद्ध दशमी विजयादशमी, सो दशमी सन्ध्याकालव्यापिनी लेनी । सो (दशमी) दोय प्रकारकी, श्रवण युक्त
और श्रवण रहित । तामें श्रवण रहित दशमी चार प्रकारकी होय है-पहले दिन सन्ध्याकालव्यापिनी दूसरे दिन सन्ध्याकालव्यापिनी, दोई दिन सन्ध्याकाल व्यापिनी और दोई दिन सन्ध्याकालमें न होय; ऐसी तामें पहले दिन सन्ध्याकालव्यापिनी होय तो पहले दिन माननी और दूसरे दिन सन्ध्याकालव्यापिनी होय तो दूसरे दिन माननी और दोई दिन सन्ध्याकालव्यापिनी न होय तो दूसरी दशमीके दिन माननी । अब श्रवण नक्षत्र सहित विजयादशमीको प्रकार पहेले दिन दशमी श्रवण नक्षत्रयुक्त सन्ध्याकालव्यापिनी होय तो पहले दिन माननी।
और दूसरे दिन सन्ध्यासमय श्रवणनक्षत्रयुक्त होय तो दूसरे दिन माननी । और दशमीके दिन श्रवणनक्षत्र उदयात् होय और सन्ध्याकालविषे श्रवणनक्षत्रकी व्याप्ति आवती न होय तोहू वा दिन माननी। और पहले दिन सन्ध्याकालव्यापिनी दशमी न होय और दूसरे दिन सन्ध्याकालमूं पहले दशमी और श्रवणनक्षत्र होय और समाप्त होते होय तो दूसरे दिन माननी
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