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________________ - - - wwwwwwwsindranama mins पक्ष है। और जितनी दिनमानकी घटी होय तिनके पाञ्च भाग करने । तिनमें तीसरो भाग मध्याह्नको जितनी घड़ीको आवे ताकालको नाम मध्याह्न काल । यह दूसरो पक्ष है । और एका|दशीके दिन विष्णुशृंखल योग होय तो एकादशीके दिन उत्सव माननो । विष्णुशृंखल योगको प्रकार-एकादशीमें श्रवण नक्षत्र बैठे और द्वादशी श्रवण नक्षत्रहीमें उपरान्त आवे ता योगको नाम विष्णुशृंखल योग है । यह योग एकादशीके दिन सूर्योदय लेके सूर्यास्तसुं पहलोंचाय तब आक्त होय तो एकादशीके दिन उत्सव माननों । और रात्रिमें ए योग आवतो होय तो सो उपयोगी नहीं। और एकादशीके दिन विष्णुशृंखल योग न होय, केवल श्रवण नक्षत्र होय और द्वादशीके दिन श्रवण नक्षत्र न होय तोहू एकादशीके दिन उत्सव माननों। और विद्धा एकादशीके दिन श्रवण नक्षत्र होय तो वा दिन । उत्सव नहीं माननों द्वादशीके दिन माननों। और दोई दिन | श्रवण नक्षत्र होय और द्वादशी मध्याह्न समयके विषे दोई दिन आवती होय तो एकादशीके दिन उत्सव माननों। और मध्याह्न समय दोई दिन द्वादशी न आवती होय तोहू एकादशीके दिन उत्सव माननों । और एकादशी तथा द्वादशी दोई दिन श्रवण नक्षत्र आवतो होय तो द्वादशीके दिन उत्सव माननों और दोय द्वादशी होय तो पहेली द्वादशीके दिन श्रवण नक्षत्र होय तो पहेली द्वादशीके दिन उत्सव माननों । और दूसरी दादशीके दिन श्रवण नक्षत्र होय तो दूसरी द्वादशीके दिन उत्सव माननों । और दोय दोय द्वादशीनमें श्रवण नक्षत्र होय तो जा दिन मध्याह्न समय श्रवण नक्षत्रकी व्याप्ति होय ता दिन उत्सव माननों। और दोई दिन श्रवण नक्षत्र होय परन्तु मध्याह्न व्याप्ति - m alinindianmomsonseminine
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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