SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नाम - - - - जन्माष्टमी निर्णय । भाद्रपद वदि अष्टमी जन्माष्टमी । सो वह अष्टमी सप्तमीविद्धा न लेनी सप्तमीको वेध सूर्योदयसँ लेनों । एकादशीकी नाई पचपन ५५ घड़ीको वेध न लेनो। और अष्टमी जो सप्तमीविद्धा होय तो औयिक अष्टमीके दिन उत्सव माननों। और अष्टमीको क्षय होय तोहू शुद्ध नवमीके दिन उत्सव माननो। और दोय अष्टमी होय तो पहली अष्टमीके दिन उत्सव माननो॥२॥ अथ राधाष्टमी निर्णय । भाद्रपद सुदि अष्टमी राधाअष्टमी, सो उदयात् लेनी । और दोय अष्टमी होंय तो पहली अष्टमीके दिन उत्सव माननो और अष्टमीको क्षय होय तो विद्धा अष्टमीके दिन उत्सव माननो॥३॥ अथ दान एकादशीको निर्णय। भाद्रपद सुदि एकादशी दान एकादशी ताको निर्णय । सो जा दिन व्रत करनो तादिन दानको उत्सव माननो। व्रतको प्रकार तो प्रथम एकादशीनिर्णयमें लिख्यो है और यह उत्सव कितनेक औदयिकी एकादशीके दिन करत हैं और एकादशीको क्षय होय तो विद्धा एकादशीके दिनही करत हैं परन्तु मुख्य पक्ष व्रतके दिन उत्सव करनों यहही है ॥४॥ अथ वामनद्वादशी निर्णय। भाद्रपद सुदि द्वादशी वामनद्वादशी, सो द्वादशी मध्याह्न व्यापिनी लेनी । मध्याह्नको लक्षण-जितनी दिनमानकी घड़ी होंय तिनको बराबर मध्यभागसों मध्याह्न होय है। यह मुख्य - samme
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy