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२ मदनदीपक-बेसन सेर 5१ दूध सेर ऽ४ में राव करके औटायके जमावनो पाछे कतली करनी पाछे घृतमें तलनी पाछे चासनीमें पागनी, चासनी जलेबीकीसीमें॥
३दीपकमनोहर-मैदा सेर 5१ चोरीठा सेर 51 बदामको मावो कच्चो तीनोंकूँ मिलायके मनोहरकी सेव छांटनी पाछे चासनीमें मिलायके सुगन्ध मिलायके लडुवा बाँधने ॥ .
४चिरोंजीकी गुझिया-चिरोंजी सेर 5 पीसके बूरो सेरऽ१ मिलायके लडुवा बांधके मैदाकी पूड़ीमें भरके गूथने, तलने ॥
५ ऐसेई पिस्ताकी गुझिया होय है ॥
६ गुलगुलाकी विधि-गुलाबके फूलकी पखड़ी खमीरकरि राखिये घीमें भुंजिये फूल परिपक्क होंय तब जलेबीकीसी चासनीमें पागिये ॥ ___७सूरनके लड्डुवा-सूरनके टूक दूधमें बाफि जीणाकरि घीमें भूजि खांड तिगुनी चासनीकरि सुगन्ध डारि लाडू बाँधिये ॥ ___८ गेहूँको चून सेर ऽ॥ बेसन सेर ॥ वीमें भुंजिये परिपक्क होय तब दूध सेरऽ। डारि फिर भूजिये पाछे खांड़ सेरऽ॥ बरास | इलायची डारि लाडू बांधिये ॥
९ हुलासके लडुवा, दूध सेर ७१ डारि औटावे गाड़ो होय तब खांड़ सेर ३१ घी सेर 51 डारि परिपक्व होय तब मेवा बरास इलायची डारि लाडू बाँधिये ॥ ___ नोट-यह संक्षेप प्रकारसे सामग्री लिखी गई है विस्तार पूर्वक सखड़ी अनप्तखड़ी दूधघर और खांडघरकी सामग्री क्रिया समेत जल घी इत्यादिके प्रमाण तथा तौलसहित व्यञ्जनपाकप्रदीप' नामक ग्रन्थमें छपी है जिनको देखनाहो उस पुस्तकमें देखलेना। इति श्रीमथुरा सरस्वती भण्डार मुखिया रघुनाथजी शिवजी लिखित
वल्लभपुष्टिप्रकाश प्रथम भाग सम्पूर्ण ।
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