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RANASANA
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।पन। धरावने । और अधकीके चरणारविन्दमें समर्पने तुलसी
चरणारविन्दमें समर्पनी । पाछे सिंहासनके आगे रु ० २) तथा श्रीफल २ भेंट करनो। टेरा लगायके फिरि गोपीवल्लभभोगके संग उत्सवको भोग धरनो। मिश्री सेर 5॥ सकरपाराको मैदा
सेर 5१ घी खांड बराबर । याते राजभोगमेंहूँ धरनो । बरफी । सेर ॥ भुजे मेवा, फलफलोरी सब तरहके मेवा तर मेवा, सूके
मेवा, बूराकी कटोरी, लूण मिरचकी कटोरी । उत्सवके सँधानेकी कटोरी धरनी। पाछे तुलसी शंखोदक, धूप दीप करनो समय भये भोग सराय बीड़ा २ धरने । राजभोगमें शाक ४ भुजेना ४ रायता १ खीर २ बिलसारु २ छाछिबड़ाकी हाँड़ी
अघोटा दूध सेर 5॥ मैदाकी पूड़ी सेरऽ॥ की। और नित्यक्रम | आरती थारीकी करनी । साँझको हिंडोराकी पिछवाई सुपेद । झालर सुपेद । तामें पवित्राको शृंगार करनो। और श्रीठाकुरजीको शृंगारमें राखी ताई नित्य पवित्रा धरावने । और मिश्री सेर । नित्य भोग धरनी । और श्रृंगार बड़ो होय तब पवित्रा बड़े हो सो पुन्योताई धरावने राखीके संग साँझकों पवित्रा बड़े होयें । फिरि दूसरे दिन बैठककू गुरुनको वैष्णव धरावे । | और पवित्राते जन्माष्टमीकी बधाई गवाइये ॥
श्रावण सुदि १२ पवित्रा द्वादशी।सो ता दिना वस्त्र गुलाबी || ॥ श्रृंगार मुकुट काछनीको । आभरण पन्नाके । ठाड़े वस्त्र सुपेद ।
शृंगार होय चुके तब पवित्रा पहिरावने । सो सन्ध्या आरती || पाछे बड़े करने । मिश्री सेर । भोगधरे । राजभोगमें सेवके। लडुवाको मैदा सेर ॥ वी सेरऽ॥ बूरो सेरऽ दार तुअरकी।। आज हिंडोराकी झालर सुपेत ताके ऊपर पवित्रा तथा हिंडोराके
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