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1 ऊपर पवित्रा लपेटने। फिर तेरसकू नहीं लपेटने । तेरसकू झालर रंगीन बाँधनी ॥
श्रावण सुदि १३ चतुरा नागाको मनोरथ । ता दिन वस्त्र - चौफूली चून्दरीके। पिछोड़ा पागछज्जेदार। आभरण पिरोजाके। | सेहेरो दोऊ आड़ी कतरा । कलंगी, लूमकी झोरा धरावनो। -ठाड़े वस्त्र श्याम । राजभोगमें सीरा । सीराको चून सेर ॥ बी | सेर ॥ बूरो सेर 59। मेवाऽ= ककोड़ाको शाक अवश्य होय ॥ - श्रावण सुदि १४ वस्त्र पीरे । दोहेरो मल्लकाच्छ ऊपरको मल्लकाछ लाल। नीचेको पीरो। छोड़ हरयो। कटिसू फेंटा। कन्धेको फेंटा लाल । ठाड़े वस्त्र लाल । टिपारो पीरो । तुर्रा पेच लाल । आभरण पन्नाके । चन्द्रका तीन सादा । सामग्री-दहीको मनोहरको मैदा ॥ दही सेरऽ। खाँड़ सेरऽ४ इलायची मासा ६।
श्रावण सुदि १५ राखीको उत्सव । पंलगपोष बिछै अभ्यंग होय । वस्त्र गुलेनार। पिछोड़ा पागछज्जेदार । ठाड़े वस्त्र हरे। आभरण हीराके । शृंगार पहले हिंडोरा प्रमाणे । चन्द्रका सादा । जो राखीको मुहूर्त सवारे होय तो श्रृंगारमें आरसी दिखाय वेणु वेत्र बड़े करि राखी धरावनी। पाछे आरती थारीकी करनी । ताकी विगत-भद्रारहितमें राखी धरावनी। तबकड़ीमें कुम्कुम् अक्षत राखने और थारी में कुम्कुम्को अष्टदल करिके चूनकी आरती करके जोड़के धरनी। पाछे बेणु बड़ो करि पाछे दण्डवत करि शंखनाद, घण्टा, झालर, बाजत, पखावज झाँझ बाजत कीर्तन होत राखी बाँधनी। प्रथम तिलक, अक्षत दोय दोय बेर करि पाछे जेमनी बाजूकी ओर धरावनी । फिर पोहोंचीको ठिकाने धरावनी। ऐसेही वाम श्रीहस्तमें धरावनी । याही प्रकार श्रीवामिनीजीकूँ धरावनी तथा और स्वरूपन] धरावनी । एक
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areliabipasabanaalkanामनासयाकालय
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