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श्रावण सुदि १० वस्त्र चून्दरीके श्रृंगार मल्लकाछ टिपारो। कतरा चन्द्रका जमावकी । ठाड़े वस्त्र हरे। आभरण हीराके। श्रृंगार कटिताई ॥ श्रावण सुदि ११ पवित्रा एकादशीको उत्सव ।
तादिन साज सब कसीदाको । सुपेदी सब उतारनी। सबेरे भद्रा होय तो साँझको ग्वाल अरोगायके पवित्रा धरावने । फिर उत्सव भोग धरनो । भोग सरायके हिंडोरामें पधरावने । और जो सबेरेके समय आछो होय तो श्रृंगारके दर्शनमें पवित्रा धरावने । अभ्यंग करावनो । वस्त्र श्वेत केसरी कोरके कंगुरावारे । कुल्हे श्वेत रथयात्राकी । वस्त्रमें छूटी केसरी। चरणचौकी वस्त्र लाल । जोड़ चन्द्रका सादा । आभरण मानिकके। शृंगार
चरणारविन्दताँई, शृंगार होयचुके तब गादीपे पधराय । माला | पहरायके राखी पवित्राको सङ अधिवासन करनो । राखी सब तरहकी। पवित्रा तीनसो साठ तारके सब धरने पाछे अधिवासन करनो। श्रोताचमन-प्राणायाम करि सङ्कल्प करनो“ॐअस्य श्रीभगवतः पुरुषोत्तमस्य पवित्राधारणार्थ रक्षाबन्धनार्थं च पवित्रारक्षयोरधिवासनमहं करिष्ये' । पाछे कुम्कुम् अक्षत छिड़किये । घट्टीकी कटोरी भोग धरिये । तुलसी शंखोदक धूप दीप करि पाछे पवित्राकी आरती करिये । पाछे दर्शन खुलाय घंटा, झालर, शंख, झाँझ, पखावज बाजतकीर्तन होत, वेणू धराय, आरसी दिखाय, दंडवत करि श्रीठा । कुरजी। पवित्रा धरावने । पहले सुन्हेरी, रूपेरी, पवित्रा धरावनो फिरि फूलमाला २ धरावनी । ता पाछे कलावत्तूके पवित्रा धरावने । ता पाछे सूतके पवित्रा तीन सौ साठ तारके धरावने । ता पाछे रेशमी पवित्रा धरावने । ता पाछे फिरि दूसरे स्वरू
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