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________________ - - ATIONAL www भिजी दार आवे सेरऽ। तामें एक दिन चनाकी तामें अजमाइन मिलावनी। दूसरे दिन सेर मूङ्गकी, तामें कछु नहीं मिला| वनो तीसरे दिन मूंगकी अंकूरी सेरऽा तामें खोपराकी चटक पैसा १॥ भर या प्रमाणे रथयात्राताई नित्य आवै ता पाछे छुकी दार आवे सो जन्माष्टमी ताई। पणो आजसों जन्माष्टमी ताई नित्य आवे । उत्थापन भोग सरे ता पाछे छोटो कुना नित्य धरनो। शृंगार बड़ो होय ता समय चन्दन बड़ो होय । और श्रीठाकुरजीके चरणारविन्दको चन्दन पौढ़ावत समय बड़ो करनो। और अरगजाकी वरनी शयनमें सुपेत आवे तामें कपूरकी सुगन्ध मिलावनी । सो रथयात्राताई आवे । सो अनोसरमें रहे। और राजभोग समय केशरी चन्दनकी बरनी आवे । सो जन्माष्टमीके पहले दिन ताँई आवे । छिड़काव दोनों बिरियां नित्य होय । टेरा खसके दोनों बिरियां नित्य छिड़कने । सो रथयात्रा ताँई और अक्षयतृतीयासों रंगीन वस्त्र नहीं घरे। और श्वेत, अरगजी, गुलाबी,चन्दनी, चम्पई ये स्नानयात्रा ताँई धरे। और केशरी छापाकी कुल्हे,टिपारो,दुमालो, फेंटा वारको,पाग गोल, पगा वारकी खिड़कीकी । अरगजी खिड़कीकी,गुलाबी खिड़कीकी, पाग वारकी फेंटा, आइबन्ध पड़दनीके शृंगारमें धरे । तब दोय कर्णफूल धरावने । चन्द्रका नहीं । अकेलो जेमनो कतराही धरावनो । और अक्षयतृतीयातूं जा उत्सव में छड़ियलदार लिखी होय तामें धोवा दार करनी, कुआ आठमें दिन पलटने। सो आषाढ़ी पून्यो ताई । फूहारा रथयात्रा ताई छूटे। रथयात्रा ताँई चौकमें विराजे । नित्य शयन आरती चौकमें होय और आषाढ़ीपुन्योताई शय्याजी ऊघाड़ी रहें ॥ .. वैशाख सुदि ४ केशरी कोरके धोती उपरना । और सब पेहले दिनको शृंगार ॥ - A D ge
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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