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वैशाख सुदि ५ वस्त्र फूल गुलाबी सूथन, पटुका पाग गोल ठाड़े वस्त्र श्याम ॥
वैशाख सुदि ६ वस्त्र अरगजी, टिपारो, आजते ठाड़े वस्त्र नहीं धरे । चन्द्रका ३ ॥
वैशाख सुदि ७ पिछोड़ा सुपेद । फेंटा, कतरा २ ॥ वैशाख सुदि ८ अरगजी सूथन, पटुका पाग गोल ॥ वैशाख सुदि ९ पिछोड़ा सुपेद, पाग छज्जेदार ॥ वैशाख सुदि १० अरगजी मल्लकाच्छ टिपारो॥ वैशाख सुदि ११ वस्त्र गुलाबी, रुपेरी किनारीके । पिछोड़ा, कुल्हे, पिछवाई केसरी॥
वैशाख सुदि १२ गुलाबी धोती उपरना। पाग छज्जेदार ऊपर सेहेरो धरावनो॥
वैशाख सुदि १३ पिछोड़ा केसरी कोरको । पाग गोल ।। वैशाख सुदि १४ नृसिंह चतुर्दशीको उत्सव ।
सो तादिन सुपेदी रहे । अभ्यंग होय । वस्त्र केशरी । पिछोड़ो कुल्हे । जोड़ चन्द्रका सादा । आभरण मोतीके हीराकें बघनखा धरे । सामग्री-सतुआ सेरऽ॥ पी सेर 5॥ बूरो सेरऽ१॥ राजभोगमें भुजेना २ शाक २ सेव झरझराकी । बूंदीकी छाछि । छूटी बूंदी, साँझकूँ सन्ध्याआरती पीछे ग्वाल अरोगायके शृंगार सुद्धा पञ्चामृतकी तैयारी करनी। दूधऽ॥ दहीऽ। घृत 5= बूरो ॥ सहत ॥ पटा केलाको पत्ता बिछायके ताके ऊपर सब साज धरनो।जलको लोटा १ यमुनाजलकी लोटी १ तथा सङ्कल्पकी लोटी १ एक तबकडीमें कुमकुम् अक्षत पीरे और अरगजाकी कटोरी और एक पड़घी पञ्चामृत करायवेको शंख धरनो। यह सब तैयारी करनो सिंहासनके आगे मन्दिर ||
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