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________________ करनो श्रौताचमन प्राणायाम करि संकल्प करनो। ॐ हरि ॐ श्रीविष्णुर्विष्णुः श्रीभगवतः पुरुषोत्तमस्य श्रीवृन्दावने दोलाधिरोहणं कर्तुं तदंगत्वेन दोलाधिवासनमहं करिष्ये । सङ्कल्प कार ता पछि । कुम्कुम्, अक्षत, डोलके ऊपर तथा सब वस्तुनके ऊपर छिड़किये । एक कटोरी गट्टीकी डोलको भोग धरिये । एक कटोरामें तुलसी मेलके ता पीछे डोलकूँ धूप, दीप करनो । पाछे तुलसी शङ्खोदक करनो। ता पीछे एकेलो घण्टा बजायके डोलकी आरती करनी। याही प्रकार अधिवासन करनो । ता पीछे घण्टा, झालर, शंख बाजत श्री प्रभूनको दंडवत करि गादी सुद्धा डोलमें पधरावने । झारी भरनी । डोल झुलावनो। थोड़ो सो खिलावनो। केशर, गुलाल, अबीर, चोवासों खिलाय पाछे धूप, दीप करि चौकी भोग धरनों साजराख्यो है सो तुलसी शंखोदक करनो। पाछे आध घड़ीको समय होय तब भोग सरावनो । आचमन मुखवस्त्र कराय बीड़ा २ धरनें । दर्शन खुलाय बीड़ी अरोगावनी । पाछे डोल झुलावनो। खिलावनो । प्रथम स्वरूप खिलावनो। पाछे गादिकूँ, पाछे झालरकूँ, पाछे डोलकूँ, पाछे पिछवाईकू सो प्रथम चन्दन, गुलाल, अबीर, चोवासों खिलावनों पाछे डोल झुलावनो।ता पाछे गुलाल, अबीर उड़ावनो। ता पाछे आरती करनी । पाछे टेरा करिके धूप, दीप करनों झारी भरनी। उपरना खेलत समय ढांकने खेल चुके तब उठायलेने । पाछे चौकी माण्डके दूसरो भोग धरनो। धूप, दीप, तुलसी, शंखोदक करनो समय बड़ी १ को करनो। समय भये भोग सरायके आचमन मुखवस्त्र करि बीड़ा ४ धरने । बीड़ी १ पाछे झुलावने । और पहिले लिखे हुए प्रमाण खेलावने । झुलावने। A MMANMOHINITIHAR MOREADINHALAR पODUCmunna
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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