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SUNAININDya
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|सेर ७१ और वेत्र पहले दिन नहीं धरे । रार गुलाल पहले दिन | नहीं उड़ावनी। होरी होय तादिन उड़ावनी । निज मन्दिर डोलके पहले दिन धोवनो। सब साज बाँधिके तैयार राखनो । जरीको साज बाँधनो। सब ठिकाने गुलाल पहले दिन काढनो ॥
चैत्र वदि १ डोलको उत्सव । जादिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होय ता दिना डोलको उत्सव माननो। पूनमको होय तो पूनमको करनो। दूजको होय तो दूजको करनो। बड़ो बालभोग खाजाको सो एक ओर पगे ताको मैदा सेरऽ२ ची सेरऽ२ खाण्ड सेरऽ२ वस्त्र श्वेत भाँतदार अस्तर मलमलको, पाग छजेदार, ठगड़े वस्त्र लाल, चन्द्रका सादा, आभरण वसन्तके, कर्णफूल ४ शृंगार चरणारविन्दताई हमेल ताईतकी । राजभोग सामग्री घाँसके लडुवाकी ताको उड़दको चून से 5 घी सेर 5१ खाँड़ सेर 5४ इलायची मासा ४ और सब प्रकार सखडीमें छाछिबड़ा, तीनकुड़ा, छड़ियलदार और सब सखड़ीमें पहले प्रमाण । अनसखड़ी पहेले दिन होरीके प्रमाण । पहले दिन डोल रात्रिकों बाँधि राखनो। खम्भ श्वेत वस्त्र तथा डाँडी लपेटिये। खम्भानसों केला बाँधिये । माधुरीकी लता बाँधिये, डांडीकूँ तो आँबफे मौर बाँधिये । डोलको नई झालर बाँधिये डोलके भीतर श्वेत वस्त्र बिछाइये । या प्रकार डोलकों साजनो।
अब डोलकी सामग्री लिखेहें। गूंझा, मठडी, सकरपारा, सेवके लडुवा, छूटी बूंदी || बाबर, केशरी तथा सुपेद, चन्द्रकला केशरी, वा फेनी केसरी, इन्द्रप्ता, काँजी, चकली, फड़फड़ीया, दाल चणाकी ए सब
DIRENEMIERE
NEPAL
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