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तैसे सब साज माण्डनों। सब खिलौंना माण्डने। झारीके झोला सब सुपेत । माला चमेलीकी सुपेत शृंगारसुद्धा शयनभोग धरनों । समय भये पूर्वोत्तरीतिसों भोग सराय, बीड़ी अरोगाय नित्यकी रीतिसों। पाछे सब स्वरूपनकों चाँदनीमें पधरावने । माला धरावनी । पाछे सब सामग्रीमें एक एक नग थालमें साजके भोग धरनो।धूप, दीप, तुलसी, शंखोदक सब करनो। समय भये आचमन मुखवस्त्र कराय बीड़ा धरके भोग सरावनों। पाछे दर्शन खोलने बीड़ी अरोगावनी । मुख चाँदनी आवे ता पीछे शयन आरती थारीकी करनी । राई, लोन नोछावर करि टेरा खेचिके सब शृंगार बड़ो करनो । पिछोरा, शिरपेच धरावनो।श्रीस्वामिनीजीकों सुपेत किनारीकी सुपेत साड़ी, चोली, लहँगा, पहरायके पोढ़ावने। शय्याके पास नित्यको साज धरनों। बीडा दो तबकड़ीमें धरके साजने। दोऊ आडी नीचे गादी धरनी । झारीतबकड़ीमें धरनी। दोय झारी पाटके दोय कोनापें शय्याके पास धरनी । गुलाबदानी गुलाबजलसों भरिके धरनी। तेजानाकी कटोरी धरनी। आरसी धरनी । वस्त्र, आभरणकी छाव साजके शय्याके पास नीचे धरनी । अतरकी शीशी,
अरगजाकी बटी तबकड़ीमें धरनी। तष्टी धरनी । तष्टीके पास । चौकीमें बंटा धरनों। और शय्याके पास यह सब साज धरनो।
चारि दिशामें चारि गादी तकिया बिछावने। बीचमें चौपड़ बिछावनी। और अनोसरको भोग सब चौकी ऊपर साजके धरनो।
अथ सामग्री। घेबरको-मैदा सेरऽ१ घी सेरऽ१॥ खाण्ड सेरऽ४ बरास रत्ती २। चोरीठाको भगद, ताको चोरीठा सेरऽ१ घी सेरऽ१ बूरा सेर 51 इलायची मासा ॥ और कचौरी, गुझिया,
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