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रहे। लूम तुर्रा शयन समय नित्य धरावने । आजसों भीतर पोहोढे । और आकाशी दीवा आजते कार्तिक सुदि १५ ताई नित्य जोड़नो । चीरा रात्रिको मंगलाताई रहे । दशहराके दिनको राखनो। - आश्विन सुदि ११ वस्त्र सुनहरी जरीके । शृंगार मुकुट काछनीको पीताम्बर लाल दरियाईको । ठाढे वस्त्र सुपेद । आभरण पन्नाके । सामग्री दहीके सेवके लडुवा ताको मैदा, घी, बराबर । खाण्ड दूनी । सुगन्धी इलायची पधरावनी।
आश्विन सुदि १२ वस्त्र श्याम जरीके । चीरा, छज्जेदार, चन्द्रका चमकनी । ठाड़े वस्त्र पीरे कतरा।
आश्विन सुदि १३ वस्त्र पीरी जरीके । शृंगार मुकुट काछनीको । मुकुट डाँकको । पीताम्बर दरियाईको । आभरण पिरोजाके । सामग्री कपूरनाडीकी मैदा सेरऽ। घी सेर । मिश्री सेर ॥ लौंग छटाँक 5
आश्विन सुदि १४ आभरण मूंगाके।
आश्विन सुदि १५ सरद पून्योको उत्सव । पिछवाई रासके चित्रकी । अभ्यंग होय । शृंगार मुकुटको । मुकुट हीराको । बागा सुपेद जरीको। पीताम्बर लाल दरियाईको। ठाडे वस्त्र सुपेद । आभरण हीराके । श्रृंगार सब सुपेद करनो । पलंगपोस, सुजनी सुपेद कमलकी । राजभोगमें सामग्री सकरपारा पाटियाकी सखडीमें साँझकू श्रृंगार बड़ो नहीं करनो। कमल पत्र करनों । अब सरदमें पधरायबेको प्रकार लिखे हैं । जा ठिकाने चाँदनीमें पधारे ता ठिकाने सुपेदी करावनी । तहां चन्दोआ पिछवाई सुपेद बाँधनी। नीचे बिछायत सुपेद करनी । तापर सिंहासन बिछावनों। सब साज राजभोग आरतीके समय मण्डे
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