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उत्तराध्ययन सूत्र
टिप्पणी-एक पूर्व में सत्रह लाख करोड़ और ५६ हजार करोड़ वर्ष होते
हैं। ऐसे एक करोड़ पूर्व की स्थिति को एक पूर्व की कोटी कहते हैं । (१७६) उन जलचर पंचेन्द्रिय जीवों की कायस्थिति कम से कम
अन्तर्मुहूर्त की और अधिक से अधिक पृथक् पूर्व कोटी
की है। टिप्पणी-पृथक अर्थात् २ से लेकर ९ तक की संख्या। (१७७) जलचर पंचेन्द्रिय जीव अपनी काया छोड़कर उसी काया
को फिर धारण करें उसके अन्तराल का जघन्य प्रमाण अन्तमुहूते का एवं उत्कृष्ट प्रमाण अनन्तकाल तक
(१७८) स्थलचर, पंचेन्द्रिय जीव (१) जो पगवाले हों वे चौपद ।
तथा (२) परिसपं-ये दो प्रकार के हैं। चौपद के ४
उपभेद हैं उन्हें तुम सुनोः(१७९) (१) एक खुरा ( घोड़ा, गधा आदि), ( २) दो खुरा
(गाय, बैल आदि), (३) गंडीपदा ( कोमल पदवाले जैसे हाथी, ऊँट आदि) तथा (४) सनखपदा
( सिंह, बिल्ली, कुत्ता श्रादि)। (१८०) परिसर्प के दो प्रकार हैं, ( १ ) उरपरिसर्प और (२)
मुजपरिसपै । उरपरिसपं उन्हें कहते हैं जो छाती से रंग कर चलते हैं (जैसे, सांप आदि) तथा मुजपरिसर्प के हैं जो हाथों से रेंग कर चलते हैं जैसे छिपकली, साँढा आदि)। इनमें से प्रत्येक के अनेकों अवांतर भेद
प्रभेद है।