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________________ महावीर का अप्रमत्त रहने का उपदेश-गौतम पर उसका प्रभाव और उनको निर्वाण की प्राप्ति होना । -१२-बहुश्रुतपूज्य ज्ञानी एवं अज्ञानी के लक्षण-सचे ज्ञानी की मनोदशा-ज्ञान का सुन्दर परिणाम ज्ञानी की सर्वोच्च उपमा । १२-हरिकेशीय _____ जातिवाद का खण्ढन-जातिमद का दुष्परिणाम तपस्वी की त्याग दशा-शुद्ध तपश्चर्या का दिव्य प्रभाव-सच्ची शुदि किस में है ? १३-चित्तसंभूतीय ११३ संस्कृति एवं जीवन का सम्बन्ध-प्रेम का आकर्पण-चित्त एवं संभूति इन दोनों भाइयों का पूर्व इतिहास छोटी सी वासना के लिये भोग-पुनर्जन्म क्यों?-प्रलोभन के प्रवल निमित्त मिलने पर भी त्यागी की दशा-चित्त संभूति का परस्पर मिलना-चित्त मुनि का उपदेश-संभूति का न मानना और घोर दुर्गति में जाकर पड़ना। १४-इपुकारीय १३० ऋणानुबंध किसे कहते हैं ? छ साथी जीवों का पूर्व वृत्तान्त और इपुकार नगर में उनको पुनः इट्टा होना-संस्कार की स्फूर्तिपरम्परागत मान्यतामों का जीवन पर प्रभाव-गृहस्थाश्रम किस लिये ? सच्चे वैराग्य की कसौटी-आत्मा की नित्यता का मार्मिक वर्णन-अन्त में ठहों का एक दूसरे के निमित्तसे संसार त्याग और मुक्ति प्राप्ति । -१५-स भिक्खू १४७ आदर्श भिक्षु कैसा हो इसका स्पष्टतथा हृदयस्पर्शी वर्णन ।
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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