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२.
समय दुराचारी की स्थिति - गृहस्थ साधक की योग्यता - सच्चे गति - देव गति के सुखों का
संयम का प्रतिपादन --- सदाचारी की वर्णन -संयमी का सफल मरण । ६- तुल्लक निर्ग्रथ
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धन, स्त्री, पुत्र, परिवार आदि कर्मों से पीडित मनुष्य को शरणभूत नहीं होते - बाह्य परिग्रह का त्याग - जगत के यावन्मात्र जीवों पर मैत्रीभाव - भाचारशून्य वाग्वैदग्ध्य एवं विद्वत्ता व्यर्थ हैं-संयमी की परिमितता ।
७-एलक
४६
भोगी की बकरे के साथ तुलना - अधम गति में जानेवाले - जीव के विशिष्ट लक्षण - लेशमात्र भूल का अति दुःखद परि णाम - मनुष्य जीवन का कर्तव्य -- कामभोगों की चंचलता ।
- कापिलिक
५७
कपिल मुनि के पूर्वजन्म का वृत्तांत - शुभ भावना के अंकुर के कारण --पतन में से विकास - भिक्षुकों के लिये इनका सदुपदेश -- सूक्ष्म अहिंसा का सुन्दर प्रतिपादन --- जिन विद्याओं से मुनि को पतन हो उनका त्याग - लोभ का परिणाम -- तृष्णा का हूबहू चित्र-स्त्रीसंग का त्याग ।
६- नमिप्रव्रज्या
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निमित्त मिलने से नमि राजा का अभिनिष्क्रमण नमिराजा के त्याग से मिथिला का हाहाकार - नमि राजा के साथ इन्द्र का तात्विक प्रश्नोत्तर और उनका सुन्दर समाधान ।
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१० - द्रुमपत्रक
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वृक्ष के पके पत्ते से मनुष्य जीवन की तुलना - जीवन की उत्क्रान्ति का क्रम- - मनुष्य जीवन की दुर्लभता - भिन्न २ स्थानों में भिन्न २ आयुस्थितिका परिमाण - गौतम को उद्देश कर भगवान
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