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उत्तराध्ययन सूत्र
(३४) शिष्य ने पूंछा - हे पूज्य ! उपधि ( संयमी के उपकरणों )
का पञ्चकखाण करने से जीव को क्या लाभ 1
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गुरु ने कहा- हे भद्र! उपधि ( संयमी के उपकरण) के प्रत्याख्यान से जीव उनको उठाने, रखने अथवा रक्षा करने की चिन्ता से मुक्त होता है और उपधिरहित जीव निस्पृही ( स्वाध्याय अथवा ध्यान चिन्तन में निश्चिन्त ) होकर उपधि न मिलने से कभी दुःखी नहीं होता ।
(३५) शिष्य ने पूंछा - हे पूज्य ! सर्वथा श्राहार के त्याग से
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जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा- हे भद्र ! सर्वथा आहार त्याग करने की योग्यतावाला जीव चाहार त्याग से जोवन की ' लालसा से छूट जाता है और जीवन की लालसा से छूटा हुना जीव भोजन न मिलने से कभी भी खेदखिन्न नहीं होता ।
(३६) शिष्य ने पूंछा है पूज्य ! कपायों के त्याग से जीव को क्या लाभ है ?
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गुरु ने कहा- हे भद्र ! कपायों के त्याग से जीव को वीतराग भाव पैदा होता है और वीतराग भाव प्राप्त जीव के लिये सुखदुःख सब समान हो जाते हैं।
(३७) शिष्य ने पूंछा - पूज्य ! योग ( मन, वचन, काय की प्रवृत्ति ) के त्याग से जीवात्मा को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा- हे भद्र ! योग के त्याग से जीव श्रयोगी ( योग की प्रवृत्ति रहित ) हो जाता है और ऐसा