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भाषा संग्रह कीगई हैं उन्हीं में से यह ग्रंथ भी एक है। जैन-शासन में सबसे प्राचीन भाषा आयारांग (आचारांग) की है । उसके बाद की प्राचीन भाषा सूत्रगडांग (सूत्र कृतांग) की है और उसके बाद तीसरा स्थान उत्तराध्ययन सूत्र की भाषा का है ऐसा भापा शास्त्रियों का मत है।
, इस तरह उत्तराध्ययन की समालोचना स्थूल रूप से करने का यह प्रयत्न किया है। उसमें यदि विद्वानों को कोई त्रुटि मालम पड़े तो वे उसे क्षमा करें। यही प्रार्थना है।
त्र्यं. नं. दवे, एम. ए., बी.टी.,
पी. एच. डी. ( लंदन ) । प्रोफेसर, गुजरात कालेज, अहमदाबाद..