________________
उत्तराध्ययन सूत्र
NAA
vvvvvvvvvvvvvv
Vvvvv harNAANA
से दो घड़ी पहिले स्वाध्याय काल से निवृत होकर ) तब अावश्यक काल सम्बन्धी प्रतिलेखन कर (प्रतिक्रमण
का काल जान कर ) फिर गुरु की वन्दना करे। (४७) (दिवस सम्बन्धी प्रतिक्रमण को जो रोति बताई है वह संपूर्ण
विधि होने के वाद ) सब दुःखों से छुड़ानेवाला कायोत्सर्ग
अावे तब पहिले कायोत्सर्ग करें। (१८) उस कायोत्सर्ग में ज्ञान, दर्शन और चारित्र तथा तप
संबंधी जो २ अतिचार लगे हों उनका अनुक्रम से चिन्त
वन करे। (४९) कायोत्सर्ग करने के बाद गुरु की वंदना करे तथा रात्रि में
हुए अतिचारों को क्रमपूर्वक निवेदन कर उनकी आलो
चना करे। (५०) दोषरहित होकर तथा गुरु से क्षमा मांगकर गुरु को
पुनः प्रणाम करे और सब दुःखों से छुड़ानेवाला ऐसा
कायोत्सर्ग करे। टिप्पणी-कायोत्सर्ग अर्थात् देहभाव से मुक्त होकर ध्यानमग्न रहने ___की क्रिया। (५१) कायोत्सर्ग में चिन्तन करे कि अब मैं किस प्रकारकी
तपश्चर्या धारण करू? फिर निश्चय करके कायोत्सर्ग से
निवृत्त हो गुरु की वंदना करे । (५२) उपरोक्त रीति से कायोत्सर्ग से निवृत्त होकर गुरू को प्रणाम
करें और उनसे तपश्चर्या का प्रचक्खाण (प्रत्याख्यान) लकर सिद्ध परमेष्ठी का स्तवन करे।