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समाचारी
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' का थोड़ा भाग भी प्रतिलेखना किये बिना न छोड़े, (१०)
वस्त्र को ऊंचा नीचा फटकारे नहीं अथवा दीवाल के ऊपर पटक कर साफ न करे, (११) मटका न मारे, (१२) वस्त्रादिक पर रेंगता हुआ कोई जीव दिखाई दे तो
उसको अपने हाथ पर उतार कर उसका रक्षण करे। टिप्पणी-कोई कोई 'नखखोडा' का अर्थ पडिलेहण करते समय
९-९ बार देखने का करते हैं। (२६) (अब ६ प्रकार की अप्रशस्त प्रतिलेखना बताते हैं ) (१)
आरभटा (प्रतिलेखना विपरीत रीति से करना); (२) संमर्दा ( वस्त्र को निचोड़ना अथवा मर्दन करना) (३) मौशली (ऊँची नीची अथवा आडो धरती से वस्त्र को रगड़ना); (४) प्रस्फोट (प्रतिलेखन करते हुए वस्त्र को बार २ झटकना); (५) विक्षिप्ता (प्रतिलेखन किये बिना ही आगे पीछे सरका देना); (६) वेदिका (घुटनों
या हाथों में घड़ी कर रखते जाना)। (२७) ( इनके अतिरिक्त दूसरी अप्रशस्त प्रतिलेखनाएं बताते
हैं:) (१) प्रशिथिल (वस्त्र को मजबूती से न पकड़ना); 1, (२) प्रलंब ( वस्त्र को दूर रख कर प्रतिलेखना करना);
(३) लोल ( जमीन के साथ वस्त्र को रगड़ना); (४) एकामर्षा ( एक ही नजर में तमाम वस्त्र को देख जाना) (५) अनेक रूपधूना (प्रतिलेखन करते हुए शरीर तथा वस्त्र को हिलाना ); (६) प्रमादपूर्वक प्रतिलेखन करना (७) प्रतिलेखन करते हुए शंका उत्पन्न हो तो उगलियों पर गिनने लगना और इससे उपयोग का चूक जाना