SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 369
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समाचारी २९७ - AAAA ' का थोड़ा भाग भी प्रतिलेखना किये बिना न छोड़े, (१०) वस्त्र को ऊंचा नीचा फटकारे नहीं अथवा दीवाल के ऊपर पटक कर साफ न करे, (११) मटका न मारे, (१२) वस्त्रादिक पर रेंगता हुआ कोई जीव दिखाई दे तो उसको अपने हाथ पर उतार कर उसका रक्षण करे। टिप्पणी-कोई कोई 'नखखोडा' का अर्थ पडिलेहण करते समय ९-९ बार देखने का करते हैं। (२६) (अब ६ प्रकार की अप्रशस्त प्रतिलेखना बताते हैं ) (१) आरभटा (प्रतिलेखना विपरीत रीति से करना); (२) संमर्दा ( वस्त्र को निचोड़ना अथवा मर्दन करना) (३) मौशली (ऊँची नीची अथवा आडो धरती से वस्त्र को रगड़ना); (४) प्रस्फोट (प्रतिलेखन करते हुए वस्त्र को बार २ झटकना); (५) विक्षिप्ता (प्रतिलेखन किये बिना ही आगे पीछे सरका देना); (६) वेदिका (घुटनों या हाथों में घड़ी कर रखते जाना)। (२७) ( इनके अतिरिक्त दूसरी अप्रशस्त प्रतिलेखनाएं बताते हैं:) (१) प्रशिथिल (वस्त्र को मजबूती से न पकड़ना); 1, (२) प्रलंब ( वस्त्र को दूर रख कर प्रतिलेखना करना); (३) लोल ( जमीन के साथ वस्त्र को रगड़ना); (४) एकामर्षा ( एक ही नजर में तमाम वस्त्र को देख जाना) (५) अनेक रूपधूना (प्रतिलेखन करते हुए शरीर तथा वस्त्र को हिलाना ); (६) प्रमादपूर्वक प्रतिलेखन करना (७) प्रतिलेखन करते हुए शंका उत्पन्न हो तो उगलियों पर गिनने लगना और इससे उपयोग का चूक जाना
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy